लोन लेने से पहले इन बातों का रखें विशेष ध्यान,भुगतान करने में नहीं होंगे परेशान

 

महंगाई के दौर में हम बैंकों से कर्ज़ तो ले लेते हैं, लेकिन उसे चुकाते वक्त हम अकसर ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनकी वजह से हमें लेट पेमेंट चार्ज देने पड़ते हैं. अगर आप भी कर्ज़लेने पर विचार कर रहे हैं तो ये समाचार आपके लिए जरूरी है क्योंकि हम आपको होम कर्ज़ से जुड़ी ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो आपके लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती हैं.

लोन लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

लोन लेते समय आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. सिबिल स्कोर से लेकर कर्ज़ के दस्तावेजों तक, आइए जानते हैं कि मुनाफे में रहने के लिए आपको किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए.

सिबिल स्कोर अच्छा करें 

बैंक कर्ज़ देने से पहले आपका सिबिल (CIBIL) स्कोर चेक करते हैं. इससे आपकी वित्तीय क्षमता का अनुमान लगता है  आपको सरलता से कर्ज़ मिल जाता है. इसलिए आप कर्ज़ के लिए अप्लाई करने से पहले ही अपना सिबिल स्कोर अच्छा कर लें. अगर ईएमआई चुकाने में देरी हो जाती है तो हमारा क्रेडिट स्कोर भी कम हो जाता है, जिसकी वजह से भविष्य में कर्ज़मिलना कठिन हो जाता है.

सभी विकल्पों पर करें विचार

अगर आप भी कर्ज़ लेना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि मार्केट में कर्ज़ के कई विकल्प उपस्थित हैं. उन सभी विकल्पों पर एक बार विचार जरूर करें. कर्ज़ देने वाली संस्थान सरकारी है या निजी, इस बात पर भी आपको ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही, कौन सी संस्थान आपको कितने ब्याज पर कर्ज़ दे रही है  किन शर्तों पर दे रही है, इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक है.

विचार-विमर्श कर लें फैसला

लोन से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले दो बार सोच लें क्योंकि होने कि सम्भावना है कि आप जल्द बाजी में गलत निर्णय ले लें. भिन्न-भिन्न बैंकों का चुनाव कर उनकी ब्याज दरों की तुलना करना भी कर्ज़ लेने से पहले आवश्यक है. इसके साथ ही आपको प्रोसेसिंग फीस  कर्ज़ अवधि का भी ध्यान देना चाहिए.

समय से पहले भी कर सकते हैं कर्ज़ का भुगतान

अगर आप कर्ज़ के ब्याज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आप समय से पहले भी होम कर्ज़ चुका सकते हैं. कर्ज़ के भुगतान के लिए प्री-पेमेंट ऑप्शन यानी समय से पहले भुगतान करने का विकल्प भी होता है. इससे आप ब्याज के झंझट से मुक्त हो जाएंगे.

जरूरी दस्तावेजों को पहले ही जुटा लें

जब आप कर्ज़ के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक आपसे कई दस्तावेज मांगते हैं. इन दस्तावेजों को पहले ही जुटा लें. अपने सभी दस्तावेज सावधानी से बैंक में जमा करवाएं  कागजी कार्रवाई से न घबराएं.

सोच समझकर बनें गारंटर 

लोन के लिए किसी का गारंटर सोच समझकर बनें. किसी का गारंटर बनने के बाद आप पर भी उस कर्ज़ को चुकाने की जिम्मेदारी होती है. लेट पेमेंट चार्ज  डिफॉल्टर होने से बचने के लिए हम आपको कुछ ऐसे ढंग बताने जा रहे हैं, जिनके माध्यम से आपको कर्ज़ मिलना भी सरल हो जाएगा  ईएमआई का भुगतान करने में कोई कठिनाई भी नहीं आएगी.

लोन की अवधि बढ़वाएं 

अगर आप ईएमआई का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं  इसकी वजह से आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, तो आप अपने मौजूदा ऋणदाता से कर्ज़ की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको राशि का भुगतान करने के लिए  समय मिल जाएगा. भुगतान के लिए ज्यादा समय मिलने पर आप डिफॉल्ट की आसार से बच जाएंगे. हालांकि अगर आप कर्ज़ की अवधि बढ़ा देते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा ब्याज का भुगतान भी करना होगा.

कम ब्याज दर लेने वाले ऋणदाता के पास जाएं

अगर आपने भी कर्ज़ लिया हुआ है  आपको ईएमआई का भुगतान करने में कठिनाई हो रही है, तो आज हम आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रहे हैं, जिसके माध्यम से आप ईएमआई का भुगतान सरलता से कर सकेंगे. बैलेंस ट्रांसफर के जरिए किसी दूसरे ऋणदाता के पास जाना अपनी कर्ज़ ईएमआई का बोझ घटाने का एक उपाय होने कि सम्भावना है. कम ब्याज दर लेने वाले ऋणदाता के पास जाना आपके लिए लाभदायक साबित होगा. हालांकि बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि नया ऋणदाता इसे एक नया कर्ज़ आवेदन मानेगा इसलिए प्रोसेसिंग फीस  एडमिनिस्ट्रेटिव फीस जैसे शुल्क भी वसूलेगा.

संकटों से जूझने के लिए अपने पास रखें इमरजेंसी फंड 

समय पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए आपको बचत कर इमरजेंसी फंड के तौर पर अपने पास राशि रखनी चाहिए. आर्थिक संकट से जूझने में ये फंड आपकी मदद कर सकता है.अगर आपके ज़िंदगी में कुछ बुरा हो जाता है, जैसे अगर आपकी जॉब छूट जाती है, या आप बीमार हो जाते हैं, तो ये फंड आपके कार्य आ सकता है. इससे आपकी कर्ज़ चुकाने की क्षमता प्रभावित नहीं होगी.

एडवांस बनाम एरियर

ईएमआई चुकाने के दो ढंग होते हैं. एक एडवांस दूसरी एरियर. ज्यादातर लोग एडवांस ईएमआई जमा करते हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं.कर्ज़ के ब्याज की तारीख आमतौर पर महीने की आरंभ में ही होती है, इसे एडवांस ईएमआई कहते हैं. वहीं अगर आप महीने के आखिर में ब्याज चुकाते हैं तो इसे एरियर ईएमआई बोलाजाता है.