रूस ने इस देश को दी ये खोली चेतावनी, कहा हिम्मत हो तो…

रूस 11 अगस्त को कोविड-19 की वैक्सीन का पंजीयन कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। यह वैक्सीन संभवत:अगले साल एक जनवरी से आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी।

 

रूस के गैमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘स्पूतनिक-5’ के नाम से जानी जाने वाली कोरोना वैक्सीन सबसे पहले कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को दी जाएगी। इस वैक्सीन का उत्पादन संयुक्त रूप से रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) द्वारा किया जा रहा है।

पुतिन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को मंगलवार को संबोधित करते हुए कहा है कि रूस कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों के साथ सहयोग करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

रूसी राष्ट्रपति ने इसके मद्देनजर एक वर्चुअल सम्मेलन बुलाने का भी सुझाव दिया जिसमें सभी देश मिलकर कोविड-19 की वैक्सीन पर काम करने की चर्चा करें। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को कोरोना की रूसी वैक्सीन निशुल्क देने का भी प्रस्ताव रखा।

लेकिन रूस ने इसके तीसरे चरण का परीक्षण शुरू किए बिना ही इसे मान्यता देकर इसका पंजीकरण भी कर दिया है। विशेषज्ञों ने स्पूतनिक-5 के पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के डेटा को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।

अमेरिका को श्री पुतिन के इस प्रस्ताव का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत कर अपने देशवासियों का जीवन बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माेर्गन ओर्टागुस ने इससे पहले टि्वटर पर कहा कि पुतिन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में दावा किया है कि कोरोना की रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 पूरी तरह से भरोसेमंद, सुरक्षित और प्रभावी है।

अमरीका में रूसी दूतावास की ओर से गुरुवार को टि्वटर पर एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी गई। वक्तव्य के मुताबिक रूस ने कहा है कि कोविड-19 की वैक्सीन विकसित करने के लिए इच्छुक देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक वर्चुअल सम्मेलन का आह्वान किया है।