राहुल गाँधी की वजह से कांग्रेस पार्टी के नेताओ की बढ़ी मुश्किले, जानिए ये है मामला

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अगर इस पद पर बने रहने के लिए राजी नहीं होते हैं तो पार्टी को विवशता में नए अध्यक्ष की खोज करनी पड़ सकती है. मगर, पार्टी के लिए राहुल का विकल्प तलाशना सरल नहीं होगा.

राहुल गांधी को मनाने में जुटे पार्टी नेताओं का मानना है कि उनकी स्थान  कोई स्वीकार्य चेहरा नहीं है. पार्टी के पुराने नेताओं में एके एंटनी  सुशील कुमार शिंदे जैसे नेता हैं, लेकिन किसी भी नाम की चर्चा कयासों से ज्यादा नहीं मानी जा सकती. अशोक गहलोत अगर राजस्थान के सीएम नहीं बने होते तो उनका नाम भी शायद चर्चा में होने कि सम्भावना था.

दक्षिण में चिदंबरम को भी पार्टी का बड़ा चेहरा माना जाता है, लेकिन उनकी स्वीकार्यता पार्टी नेताओं में नहीं है. इसी तरह कैप्टन अमरिंदर भी फायर बिग्रेड नेताओं में शुमार हैं पर वह भी ज्यादातर पंजाब की पॉलिटिक्स में ही सक्रिय रहे हैं. वैसे कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष की ओर से भी कोई नाम नहीं सुझाया गया है, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल को ही मनाने की प्रयासमें जुटे हैं.

मनाना कठिन काम: राहुल गांधी को करीब से जानने वालों का बोलना है कि अगर वह कुछ ठान लेते हैं तो उन्हें इससे डिगा पाना सरल नहीं है. पार्टी नेताओं का मानना था कि होने कि सम्भावना है वह मां सोनिया गांधी या बहन प्रियंका गांधी के कहने पर मान जाएं.

खींचतान बढ़ने का भय : राहुल तक यह संदेश पहुंचाने का भी कोशिश किया जा रहा है कि संकट जारी रहने से राज्यों में नेताओं की अंदरुनी खींचतान बढ़ सकती है. इसका प्रभावराजस्थान में देखा जा रहा है.

राहुल के इस्तीफे पर अड़े रहने के साथ ही लोकसभा में पार्टी के नेता को लेकर भी संशय बरकरार है. लोकसभा में कांग्रेस पार्टी ने 52 सीटें जीती हैं. इस बार भी पार्टी को प्रतिपक्ष के नेता का पद नहीं मिल पाएगा. इसके बावजूद पार्टी को लोकसभा में नेता चुनना होता है. पिछली बार यह जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे को दी गई थी, लेकिन वह चुनाव पराजय गए हैं. सूत्रों के अनुसार, सदन में नेता पद के लिए राहुल गांधी के अतिरिक्त जिन  दो नामों को गंभीरता से लिया जा सकता है, उनमें केरल से सांसद शशि थरूर  पंजाब से चुनकर आए मनीष तिवारी शामिल हैं.