राष्ट्र के 122 बिजली घरों में कोयले की भारी किल्लत

इस समय राष्ट्र के 122 बिजली घरों में इस समय कोयले की भारी किल्लत हो गई है. पहले माना जा रहा था बरसात के बाद स्थिति अच्छा हो जाएगी, लेकिन अभी भी कोयले की आपूर्ति में सुधार नहीं हुई है. कोयला सचिव इंद्रजीत सिंह ने कोल इंडिया को लेटर लिख कर स्थिति अच्छा करने को बोला है क्योंकि करीब 10 बिजली घरों में कोयले का अलावा स्टॉक नहीं है.कोयले की आपूर्ति नहीं सुधरने पर त्यौहार में बिजली की बढ़ी मांग पूरा करने में दिक्कत हो सकती है.
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कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस समय दस बिजली घरों में अलावा कोयले का स्टॉक नहीं है जबकि इनके पास कम से कम 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए. राष्ट्र के 46 बिजली घर ऐसे हैं, जिनके पास सिर्फ 1 से 3 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक था. 20 क्षमता प्लांट के पास 6 दिनों तक के लिए कोयले का स्टॉक पाया गया. वहीं 31 क्षमता प्लांट के पास 7 से 15 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक था.

कोयले की किल्लत से व्यक्तिगत एरिया की बिजली कंपनियों से लेकर एल्युमीनियम-बाक्साइट उद्योग  कैप्टिव क्षमता प्लांट वाली कंपनियां तक परेशान हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत लघु उद्यमियों को है क्योंकि वे कोयले से भरी मालगाड़ी नहीं खरीदते बल्कि ट्रकों से कम मात्रा में इसे खरीदते हैं. उल्लेखनीय है कि इस समय कोयला  रेलवे, दोनों मंत्रालयों की जिम्मेदारी पीयूष गोयल के पास है.

कोयले की सप्लाई में बिजली को प्राथमिकता

सरकार ने कोयले की आपूर्ति में बिजली एरिया को प्राथमिकता देने का लिखित आदेश दिया है. सप्लाई की दूसरी वरीयता राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, नाल्को  सेल जैसे केंद्र गवर्नमेंट के उपक्रमों को रखा गया है. इससे एल्युमीनियम उद्योग को खासी दिक्कत हो रही है. एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कोयला सचिव को लिखे एक लेटर में बोला है कि इससे उद्योग के कैप्टिव क्षमता प्लांट बंद होने के कगार पर आ जाएंगे.

बिजली घरों में भी सरकारी को प्राथमिकता
बिजली घर चलाने वाली कंपनियों का कहना है कि गवर्नमेंट ने तो इस उद्योग को प्राथमिकता दी है लेकिन अघोषित आदेश सरकारी या पीएसयू बिजली कंपनियों को कोयला आपूर्ति का है. इस वजह से व्यक्तिगत एरिया के बिजली घरों को कोल इंडिया लिमिटेड का कोयला नहीं मिल पाता है.

तुरंत आयात हो नहीं सकता
व्यक्तिगत एरिया की एक अग्रणी बिजली कंपनी का कहना है कि एक विकल्प आयात का है लेकिन उसमें भी समय लगता है. विदेश में आर्डर देने से लेकर यहां बंदरगाह तक पहुंचने में कम से कम तीन महीने का समय लगता है. लेकिन यदि यही स्थिति रही तो आयात का आर्डर देना पड़ेगा.

कोल इंडिया के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने बताया कि उनके पास कोयला तो है लेकिन रेलवे के पास उसे ढोने के लिए रैक नहीं है. अब बिजली घर या एल्युमीनियम प्लांट को ट्रकों से तो कोयले की आपूर्ति हो नहीं सकती. इस समय जो रैक उपलब्ध हैं, उनसे बिजली घरों को कोयला भेजा जा रहा है.

लघु उद्यमियों को है ज्यादा दिक्कत
साहिबाबाद इंडस्ट्रियल क्षेत्र में रीरोलिंग मिल चलाने वाले रमेश बंसल कहते हैं कि उनके यहां हफ्ते में तीन से चार ट्रक कोयले की खपत है. लेकिन इन दिनों कोयले की उपलब्धता में दिक्कत हो गई है. इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे खर्च कर सीधे झरिया से कोयला का बंदोवस्त करना पड़ रहा है.