राशन कार्ड की हेराफेरी को लेकर सरकार की यह नीति होगी कारगर

11 करोड़ से अधिक की आबादी वाले राज्य में बोगस राशन कार्डो की यह संख्या बहुत अधिक है. लेकिन अब, प्रौद्योगिकी के प्रयोग से इतने बड़े पैमाने पर कार्ड रद्द किए जाने के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हेर-फेर की गुंजाइश काफी कम होने की संभावना है.

सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण किए जाने से सरकारी राशन दुकानों से सस्ते भाव में वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न के वितरण में कई मीट्रिक टन की कमी भी आएगी. इस बचत के कारण जिन कार्डधारकों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अनाज नहीं मिल पा रहा था, उम्मीद है उन्हें भी अनाज उपलब्ध कराना संभव हो पाएगा. हालांकि, पूरे महाराष्ट्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण हो जाने के कारण सरकारी राशन की दुकानों पर ई-पॉस मशीनों से ही खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं का वितरण हो रहा है.

ई-पॉस मशीन के कारण कोई भी लाभार्थी पूरे राज्य में कहीं भी सिर्फ एक बार ही राशन ले सकता है, लेकिन फिर भी पीडीएस प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, अफसरशाही, राशन दुकानदारों और दलालों के बीच गठजोड़ की शिकायतें मिलती ही रहती हैं. केंद्र द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सब्सिडी पर सालाना 28 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन वास्तव में यह पैसा कुछ अनुचित लोगों की जेब में चला जाता है. सब्सिडी वाला अनाज उन गरीबों तक नहीं पहुंच पाता, जिन्हें इसकी जरूरत है.

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की छानबीन के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी एक सदस्यीय डीपी वाधवा कमेटी ने भी पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट में बड़ी बात यह कही थी कि नौकरशाही भी चाहती है