मीटू अभियान की आंच में नित नयी हस्तियां के नाम आ रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर भी आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि जब वे संपादक थे तो उन्होंने कई महिला पत्रकारों का यौन उत्पीड़न किया। इस सिलसिले में कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए अकबर पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं।
इस कड़ी में पत्रकार प्रिया रमानी ने उन पर सबसे पहले आरोप लगाते हुए अपनी स्टोरी को साझा किया है। इससे पहले उन्होंने पिछले अक्टूबर में वोग इंडिया में लिखे अपने ऑर्टिकल में डियर मेल बॉस को संबोधित करते हुए एक आर्टिकल लिखा था। उस वक्त संसार भर में प्रारम्भ हुए मीटू अभियान की पृष्ठभूमि में उन्होंने अपनी स्टोरी को लिखा था। हालांकि उस वक्त उन्होंने आरोपी का नाम सार्वजनिक नहीं किया था। लेकिन आठ अक्टूबर को उन्होंने अपनी स्टोरी के लिंक को शेयर करते हुए लिखा कि दरअसल उनकी पुरानी स्टोरी एमजे अकबर से संबंधित थी। उन्होंने इसके साथ ही लिखा कि उनका नाम इसलिए नहीं लिया था क्योंकि उन्होंने मेरे साथ ‘कुछ’ नहीं किया। लेकिन कई अन्य स्त्रियों की इससे भी बदतर स्टोरीज उनसे जुड़ी हो सकती हैं- संभवतया वे इसे शेयर करें।
प्रिया रमानी ने ऑर्टिकल में अपने एक नौकरी इंटरव्यू के अनुभव को साझा करते हुए बोला कि उस वक्त मैं 23 वर्ष की थी व वह 43 वर्ष के थे। संपादक ने मुझे दक्षिणी मुंबई के उस होटल में मिलने के लिए बुलाया जहां वे हमेशा रुका करते थे। उन्होंने बोला कि दरअसल वो इंटरव्यू कम डेट ज्यादा था। संपादक ने ड्रिंक ऑफर की व पुराने हिंदी गाने सुनाने को कहा।यहां तक कि उन्होंने अपने बेड के पास आकर बैठने को बोला जिसे मना कर दिया।
प्रिया रमानी के सामने आने के बाद भारतीय एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक छह महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर पर आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस ने जांच की मांग की, गवर्नमेंट चुप
इन आरोपों के सामने आने के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर के विरूद्ध लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की मांग की है। दूसरी तरफ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस सवाल को टाल गईं कि क्या गवर्नमेंट अकबर के विरूद्ध कोई कार्रवाई करेगी। इन आरोपों पर विदेश राज्य मंत्री अकबर की कोई रिएक्शन नहीं आई है। बोला जा रहा है कि इस वक्त वह एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ नाइजीरिया के दौरे पर हैं। अपने सहयोगी पर लगे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कोई टिप्पणी नहीं की।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर मामला है व संबंधित मंत्री को बोलने की आवश्यकता है। चुप रहना कोई रास्ता नहीं है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। हम संबंधित मंत्री व पीएम दोनों को इस मुद्दे पर सुनना चाहते हैं। ’’ बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा से इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
इस बीच महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बोला है कि किसी के भी विरूद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं। मेनका गांधी ने मंगलवार को एक खबर चैनल से कहा, ‘‘ शक्तिशाली पदों पर बैठे पुरुष अक्सर ऐसा करते हैं। यह बात मीडिया, पॉलिटिक्स व यहां तक कि कंपनियों में वरिष्ठ अधिकारियों पर भी लागू होती है। ’’
उन्होंने बोला कि अब जब स्त्रियों ने इस बारे में बोलना प्रारम्भ किया है तो उनके आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘ महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनका मजाक बनाएंगे, उनके चरित्र पर अंगुलियां उठाएंगे। लेकिन अब जब उन्होंने बोलना प्रारम्भ किया है तो हर एक आरोप के बारे में कार्रवाई की जानी चाहिए। ’’
उल्लेखनीय है कि राष्ट्र में ‘मीटू’ अभियान तेज हो गया है, मनोरंजन व मीडिया जगत से जुड़ी कई स्त्रियों ने यौन उत्पीड़न की आपबीती साझा की है। अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने 2008 में एक फिल्म के सेट पर नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है जिसके बाद हॉलीवुड के ‘मीटू’ की तर्ज पर हिंदुस्तान में भी यह अभियान प्रारम्भ हुआ है। पाटेकर ने तनुश्री के आरोपों का खंडन किया है।