जैसा कि नयी नरेन्द्र मोदी सरकार से उम्मीद की जा रही थी कि वह आर्थिक मोर्चे पर तेजी से कार्य करेगी उसी तर्ज पर सरकार बढ़ती नजर आ रही है।
नरेन्द्र मोदी सरकार2.0 ने देशव्यापी आर्थिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। अभी तक रोजगार को लेकर देशव्यापी स्थिति स्पष्ट नहीं होने की असमंजस की स्थिति अब दूर हो जाएगी। पिछले कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया था जो अगले 6 महीनों में पूरा हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक, पांच वर्षों में होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अब हर तीन वर्षों पर किया जाएगा।
वैसे यह सातवां आर्थिक सर्वेक्षण होगा। लेकिन ए सर्वेक्षण अपने आप में अनूठा होगा। पहली बार स्वरोजगार, चाहे वो किसी भी रूप में हो, उसकी गणना की जाएगी व सारे देश के सामने पेश किया जाएगा। रोजगार को लेकर अमूमन हर सरकार विपक्ष के निशाने पर रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार 1.0 भी इससे अछूता नहीं रहा। इसलिय नरेन्द्र मोदी सरकार 2.0 ने इसको लेकर हो रही सियासत को समाप्त करने का निर्णय लिया। अब हर उस शख्स की आर्थिक गणना होगी जो अपने पैर पर खड़ा है।
अभी तक सरकारी जॉब को ही रोजगार मानने वाले को पता चल जाएगा कि देश में रोजगार की स्थिति क्या है। साथ ही सरकार के पास भी पुख्ता डाटा आ जाएगा कि कौन व कितने लोग रोजगार से मरहूम हैं। इसके लिए राज्यों से भी डाटा मांगा गया है। आर्थिक सर्वेक्षण को बिल्कुल जनसंख्या गणना की तरह पूरा किया जाएगा।
इस सर्वेक्षण के लिए 12 लाख सर्वेक्षणकर्ताओं को ट्रेनिंग देकर तैयार कर लिया गया है। उनको इसके लिए एक परफोर्मा दिया जाएगा। उसके आधार पर डाटा तैयार कर रोजगार की ठीक स्थिति के बारे में पता चल पाएगा। 12 लाख सर्वेक्षणकर्ताओं की रिपोर्ट को NSSO के ऑफिसर आकलन करेंगे। इसमें प्रदेश सरकार व MSME के अधिकारियों की भी सहायता ली जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, इस आर्थिक सर्वेक्षण से क्रॉप प्रोडक्शन, प्लांटेशन, डिफेंस, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन व कंपलसरी सोशल सिक्योरिटी सर्विसेज को बाहर रखा गया है। इसके लिए हाल ही में दिल्ली में एक प्रशिक्षण प्रोग्राम रखा गया था, जिसमें टॉप ऑफिसर शामिल हुए थे। इसी तरह के प्रोग्राम सारे देश में 6000 जगहों पर हुआ। जरूरी बात है कि इस सर्वेक्षण में तकनीक का भरपूर उपयोग किया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि देश में अभी तक 6 बार आर्थिक सर्वेक्षण व गणना हो चुकी है।