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‘महिलाओं की भागीदारी के बिना कोई भविष्य नहीं’, अफगानिस्तान के हालात पर संयुक्त राष्ट्र में उठी आवाज

अफगान महिलाओं ने मतदान करने का अधिकार, लगभग एक सदी पहले हासिल कर लिया था। मगर आज तालेबान शासन में, महिलाओं को वास्तव में सार्वजनिक जीवन से गायब कर दिया गया है और उन्हें गीत गाने-गुनगुने तक से रोक दिया गया है।

यूएन के मुख्यालय में हुआ कार्यक्रम
इस तरह की रौंगटे खड़े कर देने वाली आपबीतियां और विचार, अफगान महिलाओं और दुनिया भर में उनके समर्थकों ने सोमवार को यूएन मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस कार्यक्रम का आयोजन अफगान समाज में महिलाओं की भागेदारी और उनके अधिकारों को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए किया गया था।

मामलों में महिलाओं को सार्थक ढंग से शामिल किया जाए
अफगानिस्तान की राजनयिक रह चुकी और अब अफगानिस्तान पर महिलाओं के फोरम के लिए काम कर रहीं असीला वारदक ने कहा, ‘अब, पहले से कहीं अधिक ये बहुत अहम है कि अफगानिस्तान के भविष्य से संबंधित तमाम मामलों में महिलाओं को सार्थक ढंग से शामिल किया जाए।’

असीला वारदक ने जोर देकर कहा कि देश का भविष्य आधी आबादी को अलग-थलग करके नहीं बनाया जा सकता है। साथ ही ये कि महिलाओं को समाधान का हिस्सा बनाया जाए, नाकि उन्हें दरकिनार कर दिया जाए।

इन लोगों की मदद से हुआ कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का सहआयोजन आयरलैंड, इंडोनेशिया, स्विटजरलैंड और कतर ने, ‘अफगानिस्तान पर महिला फोरम’ के साथ मिलकर किया। यह फोरम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि देश के भविष्य के बारे में किसी भी संवाद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्णय-प्रक्रिया में, अफगान महिलाओं को शामिल किया जाए।

यह कार्यक्रम यूएन महासभा के 79वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट शुरू होने से एक दिन पहले आयोजित किया गया। यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने भी, अपनी भारी व्यस्तता के बावजूद, इस कार्यक्रम की शुरुआत में शिरकत करके, अफगान महिलाओं के लिए, अंतराष्ट्रीय एकजुटता प्रकट की।

महिलाओं की आवाजों को बुलंद करना जारी रखेंगे
उन्होंने कहा, ‘हम अफगान महिलाओं की आवाजों को बुलंद करना जारी रखेंगे और उनसे देश के जीवन में अपनी पूर्ण भूमिका निभाने की पुकार लगाते हैं, देश की सीमाओं के भीतर और वैश्विक स्तर पर।’

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