महज 3 साल में 51 शतक जड़ चुका यह भारतीय खिलाड़ी

भारत की अंडर टीम ने भी हाल ही में एशिया कप खिताब अपने नाम किया है। बता दें की भारत की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का है वो तो महज 17 साल के ओपनर बल्लेबाज का है। बता दें की एक ऐसा बल्लेबाज जिसने क्रिकेट खेलने के लिए गोलप्पे बेचे और टैंट में गुजारा किया पर कहते हैं ना मन में अगर किसी काम करने की सच्ची लगन होती तो वो काम पूरा जरूर होता है।

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हम बात कर रहे हैं। यशस्वी जायसवाल की जिन्होंने इस टूर्नामेंट इस टूर्नामेंट ना सिर्फ रनों की झड़ी लगी तो वह इस मैच के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी बने वही खिलाड़ी हैं । बता दें की यशस्वी का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही में हुआ था। उनका परिवार बेहद साधारण था। उन्होंने बचपन से ही बड़ा क्रिकेटर बनने का सपना देखा था। और इस सपने को पीछा करते हुए वो मुंबई चले आए उस समय इनकी उम्र महज11 साल थी।

बातचीत करते हुए यशस्वी कहते हैं कि -मैं मुंबई बस ये सोच कर आ गया था कि मुझे बस क्रिकेट खेलना हैं। मैं टैंट में रहता था ,जहां न तो पानी था न बिजली थी और न ही टॉयलेट मुझे सबसे ज्यादा समस्या तब आयी जब मेरे पास पैसे बिलकुल खत्म हो गए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मैंने पैसों के लिए गोलगप्पे बेचना शुरू किया।

दिन में मैंने प्रैक्टिस की और रात को गोलगप्पे का ठेला लगाया जब मेरे साथ के साथी कभी-कभी मेरे पास गोलगप्पे खाने आ जाते थे जब मुझे बहुत गन्दा लगता था, लेकिन क्या करता ये जरुरी भी था। इसके साथ ही उनके कोच ज्वाला सिंह ने कहा कि — जब मैंने इसको पहली बार खेलते हुए देखा था तब ये महज 11 से 12 साल का रहा होगा।

मैं अपने आपको इससे प्रभावित किए बिन रह नहीं पया जब मेरे मित्र ने मुझे बताया कि एक लड़का हैं जिसे क्रिकेट बहुत शौक हैं। उसका परिवार उसके साथ नहीं है वह इस वक्त बहुत मुश्किल में है।कुछ समय बाद खुद ज्वाला सिंह ने ट्रेनिंग का फैसला लिया ।