मध्य प्रदेश के सिनेमा प्रेमियों के लिए बुरी खबर, दो महीने तक रिलीज नहीं होंगी नई फिल्में

नई फिल्म का ट्रेलर आते ही उसे थियेटर में देखने के लिए फैन्स की जिज्ञासा बढ़ जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश के सिनेमा प्रेमियों के लिए बुरी खबर आई है। अब प्रदेश में 31 दिसंबर तक नई फिल्म नहीं दिखाई जाएगी। यह फैसला मुंबई में प्रोड्यूसर्स गिल्ड और सेंट्रल सर्किट सिनेमा एसोसिएशन की बैठक में लिया गया है। बैठक में कहा गया है कि मप्र सरकार जब तक एंटरटेनमेंट टैक्स खत्म नहीं करेगी, हड़ताल जारी रहेगी। इस दौरान सिंगल स्क्रीन सिनेप्लेक्स में हिंदी में डब की गईं दूसरी भाषाओं की फिल्में भी प्रदर्शित नहीं की जाएंगी।

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गिल्ड के फैसले से सिंगल स्क्रीन सिने प्लेक्स संचालक भी अघोषित रूप से दोबारा हड़ताल में शामिल हो गए हैं। उल्लेखनीय है सिंगल स्क्रीन सिनेप्लेक्स संचालकों ने बुधवार को हड़ताल खत्म कर शुक्रवार से हिंदी में डब की गई फिल्में दिखाने का ऐलान किया था। हड़ताल में प्रदेश के मल्टीप्लेक्स-सिंगल स्क्रीन दोनों मिलाकर तकरीबन 450 सिनेमाघर शामिल हैं। यह हड़ताल सेंट्रल सिने सर्किट एसोसिएशन और सिनेमा एसोसिएशन द्वारा की जा रही है।

दरअसल, सिनेमाघरों पर लगने वाला टैक्स सिनेमा संचालक और प्रोड्यूसर्स द्वारा आधा-आधा वहन किया जाता है, लेकिन इस मामले में प्रोड्यूसर्स गिल्ड ने मप्र में यह टैक्स वहन करने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है यह देश में कहीं भी नहीं लग रहा है, इसलिए हम प्रदेश में यह टैक्स नहीं देंगे । सिनेमाघर संचालकों और प्रोड्यूसर्स ने प्रदेश के सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज के लिए मिलने वाली सैटेलाइट की (जिससे सैटेलाइट के जरिए फिल्म सीधे सिनेमाघर में आती है) भी नहीं दी है। इसके चलते संचालकों ने सिनेमाघर बंद रखने की घोषणा कर दी। इसमें सिनेमाघर संचालकों के साथ ही, फिल्म प्रोड्यूसर्स, मल्टीप्लैक्स एसोसिएशन व अन्य संगठन भी शामिल हैं।

इसलिए हो रहा है विरोध

100 रुपए तक की टिकट पर 18 फीसदी और इससे अधिक दाम के टिकट पर 28 फीसदी जीएसटी लग रहा है। नगर निगम प्रति शो 200 रुपए का प्रदर्शन टैक्स भी लेता है (हालांकि इंदौर में यह टैक्स मनोरंजन कर के बाद खत्म कर दिया है, लेकिन भोपाल व अन्य जगह है)। इसके अलावा मनोरंजन कर के नाम पर तीसरा टैक्स लिया जा रहा है। इंदौर में नगर निगम ने मनोरंजन कर केवल 5 फीसदी लगाया है, लेकिन भोपाल में यह 15 और जबलपुर में 10 फीसदी है। एक बार इंदौर के सिनेमाघर संचालक इस पांच फीसदी टैक्स को सहन करने पर तैयार भी हो जाएं, लेकिन भोपाल व जबलपुर में अधिक टैक्स कोई भी सहन करने के लिए तैयार नहीं है।