भारत और चीन के बीच बढ़ी तनातनी , लद्दाख में तैनात हुई भारी सेना

सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रविवार को बातचीत चीन सीमा में पड़ने वाले मोल्डो में सुबह दस बजे शुरू हुई, जो देर रात तक चली। यानी कुल करीब 15 घंटे तक बातचीत हुई।

 

इसमें भारत का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जबकि चीन की तरफ से तिब्बत क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन शामिल हुए।

पिछली बैठक छह नवंबर को हुई थी, जिसमें टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर चर्चा हुई थी और इसका मोटा खाका भी तैयार किया गया था।

इसके तहत पहले चरण में दोनों देशों के टैंक, तोप आदि हथियार हटाए जाने थे। दूसरे चरण में चीन को पेंगोंग त्सो के फिंगर-8 तक पीछे हटना था। वहीं, भारत को फिंगर-2 तक पीछे आना था। तीसरे चरण में पूरी तरह से मई से पहले की स्थिति बहाल करने पर बात हुई थी।

सूत्रों के मुताबिक, नौवें दौर की बैठक में बातचीत का मुख्य उद्देश्य पिछली बैठक में बनी सहमतियों पर आगे बढ़ना था। यह तय किया जाना था कि दोनों देश किस प्रकार से अपने सैनिकों को टकराव वाले स्थानों से पीछे हटाएं। इसकी एक रुपरेखा पिछली बैठक में बनी थी, लेकिन अभी तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है।

सीमा विवाद पर जारी गतिरोध के बीच भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद नौवें दौर की बैठक हुई। करीब 15 घंटे तक चली इस बैठक में भी भारत की तरफ से दो टूक कहा गया है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मई से पहले की स्थिति बहाल करे और पीछे हटे। दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं।