बड़ी खबर : अनिल अंबानी भी फंसे इस जाल में, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनिल अंबानी ने जानबूझकर कोर्ट के उस आदेश की अवमानना की जिसमें स्वीडन की टेलिकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 5.5 अरब रुपए देने थे.

इस ख़बर के बाद आर कॉम समेत अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर 10 फ़ीसदी तक लुढ़क गए.

इस मामले में कोर्ट ने अंबानी को अदालत की अवमानना का दोषी क़रार दिया है.

कोर्ट ने अरबपति अंबानी और आरकॉम के दो निदेशकों को चार हफ़्ते के भीतर एरिक्सन को 4.5 अरब रुपए देने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने साफ़ कहा कि अगर अंबानी इसका भुगतान नहीं करते हैं तो तीन महीने की जेल की सज़ा काटनी होगी. 2014 में एरिक्सन ने आरकॉम के नेटवर्क के प्रबंधन और संचालन को लेकर समझौता किया था.

पिछले साल एरिक्सन ने अदालत में 5.5 अरब रुपए के भुगतान नहीं होने को लेकर शिकायत की थी.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि रिलायंस कम्युनिकेशन्स कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करती है और वो अदालत के आदेश को पूरा करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने जब यह फ़ैसला सुनाया तो अनिल अंबानी भी कोर्ट में ही मौजूद थे. क़ानूनी पत्रकार सुचित्र मोहंती के अनुसार फ़ैसले के बाद अनिल अंबानी अपने वकीलों से बात करते दिखे.

मोहंती का कहना है कि अब अनिल अंबानी के पास कोई विकल्प नहीं है और कोर्ट का फ़ैसला किसी भी सूरत में मानना ही होगा.

हालांकि अनिल अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर कोई भी टिप्पणी नहीं की. अनिल अंबानी भारत के दूसरे उद्योगपति हैं जिन्हें अदालत की अवमानना में दोषी ठहराया गया है. इससे पहले सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय को इस मामले में दोषी ठहराया गया था.

इसी महीने अनिल अंबानी ने आरकॉम के दिवालिया होने की घोषणा की थी. पिछले साल दिसंबर महीने तक अनिल अंबानी ने ख़ुद कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वो एरिक्सन को पैसे दे देंगे.

अंबानी पैसे देने में नाकाम रहे तो एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की और कहा कि आरकॉम ने कोर्ट की अवमानना की है इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया जाए.

बुधवार को इसी मामले में कोर्ट ने अनिल अंबानी और उनके दो निदेशकों सतीश सेठ और छाया विरानी को दोषी ठहाराया.

हालांकि अदालत ने तत्काल गिरफ़्तारी की मांग को ख़ारिज कर दिया लेकिन कोर्ट ने ये भी साफ़ कहा कि चार हफ़्ते के भीतर अंबानी पैसे नहीं देंगे तो तीन महीने की जेल होगी.

आरकॉम ने समय पर पैसे नहीं देने का तर्क दिया था कि इसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है, क्योंकि सरकार ने जियो को संपत्ति बेचने की मंजूरी नहीं दी थी.

एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है और कहा है कि एक बार फिर से वो आरकॉम के वादों का इंतज़ार करेगी.

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन्स या आरकॉम – एक वक़्त था जब ये भारत की दूसरी बड़ी टेलिकम्युनिकेशन्स कंपनी थी. मगर अब इस कंपनी ने दिवालिया घोषित करवाने के लिए अर्जी दी है..

उसका ये हाल उसके प्रतिद्वंद्वियों ने किया जिनमें उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की जियो का अच्छा-ख़ासा योगदान है.

पिछले कई साल से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कंपनी ने अब आख़िरकार कोर्ट में क़र्ज़ की समस्या के समाधान के लिए अर्जी लगाई है.

दिसंबर 2017 में अंबानी ने आरकॉम के क़र्ज़दाताओं से पूर्ण समाधान की घोषणा की थी. अनिल अंबानी ने कहा था कि उनकी कंपनी 3.8 अरब डॉलर की अपनी संपत्ति बेच कर्ज़ों का भुगतान करेगी. इसमें जियो को मुहैया कराई गईं सेवाएं भी शामिल थीं.

लेकिन शुक्रवार की बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से आरकॉम ने कहा कि कर्ज़दाताओं को प्रस्तावित संपत्ति बिक्री से कुछ भी नहीं मिला है और कर्ज़ से निपटारे की प्रक्रिया अब भी बाधित है.

कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वो अपने 40 विदेशी और भारतीय क़र्ज़दाताओं में सहमति बनाने में नाकाम रही. कंपनी ने कहा कि इसके लिए 40 बैठकें हुईं लेकिन बात नहीं बनी और साथ में भारतीय अदालती व्यवस्था में क़ानूनी उलझनें बढ़ती गईं.

आरकॉम ने अपनी मोबाइल सेवा की अहम संपत्तियों को जियो से बेचा है और इसकी मंजूरी भी मिल गई है. सरकारी अधिकारी भी स्पेक्ट्रम की ख़रीदारी में बकाये को हासिल करने के लिए मामले को जल्दी निपटाने की कोशिश कर रहे हैं.

अनिल अंबानी अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. मोदी सरकार के फ़्रांस से लड़ाकू विमान रफ़ाल के सौदे में भी अनिल अंबानी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के निशाने पर हैं. राहुल गांधी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस सौदे में अनिल अंबानी को फ़ायदा पहुंचाया है.