फर्जी खबरें रोकने के लिए क्या किया बताएं, कमेटी ने मांगा जवाब

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों पर रोक लगाने को लेकर संसद की स्टैंडिंग कमेटी (आईटी) गंभीर है। संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट जिसमे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि शामिल हैं उनसे कहा है कि वह फर्जी खबरों रोक लगाएं और इसके लिए चुनाव आयोग से अधिक से अधिक संपर्क में रहें। सूत्रों की मानें तो पैनल ने फर्जी खबरों को रोकने के लिए उठाए गए कदम की विस्तृत रिपोर्ट भी फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और अन्य नेटवर्किंग साइट से मांगी है।

फर्जी खबरें रोकने के लिए क्या किया, बताएं

स्टैंडिंग कमेटी (आईटी) के पैनल के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की अगुवाई में टीम ने आज सोशल मीडिया कंपनियों से मुलाकात की और उन्हें निर्देश दिया है कि चुनाव के दौरान वह फर्जी खबरों को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। सोशल मीडिया कंपनियों से अपील की गई है कि वह रीयल टाइम में इन फर्जी खबरों पर कार्रवाई करें, साथ ही चुनाव के दौरान वह चुनाव आयोग से लगातार संपर्क में रहे। सोशल मीडिया कंपनियों से कहा गया है कि वह ऐसे टूल्स लेकर सामने आए जिससे राजनीतिक प्रचार में और भी पारदर्शिता सामने आए।

कमेटी ने मांगा जवाब

सूत्रों की मानें तो संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देशित किया है कि वह हमे बताए कि वह किस तरह से राजनीतिक भेदभाव की खबरों के गलत इस्तेमाल को रोकेंगे। तीन सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि अगली सुनावाई में वह पैनल के सामने विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। पैनल ने पूछा कि क्या आपका प्लेटफॉर्म समाज की सेवा कर रहा है या फिर लोगों को बांट रहा है। इसपर फेसबुक ने जवाब दिया है कि कुछ छोटी कंपनियां हैं।

कई अधिकारी हुए शामिल

सूत्रों की मानें तो फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर के शीर्ष अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए थे। फेसबुक की ओर से ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के वाइस प्रेसिडेंट जोएल कैपलन ने पैनल को बताया कि हम व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम पर नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। इस दौरान कैपलन के साथ फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन, पब्लिक, पॉलिसी एंड प्रोग्राम के डायरेक्टर अंखी दास भी शामिल थे। इस दौरान फेसबुक ने अपने कर्मचारियों की ओर से आतंकवाद और पुलवाम आतंकी हमले को लेकर दिए गए बयान पर माफी मांगी है।

10 दिन में मांगा जवाब

संसद की कमेटी ने कहा कि भारतीय चुनाव, राष्ट्रीय सुरक्षा, नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा हमारी शीर्ष वरीयता है, हमे 10 दिन के भीतर इस बारे में जवाब दीजिए। सूत्रों की मानें तो बैठक में ट्विटर की ओर से कोई शामिल नहीं हुआ।