पाचन क्रिया को सुधारने के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक उपाय

आजकल जितनी बीमारी हो रही है इसका कारण ज्यादा बाहर का खान ही तो है , सबसे ज्यादा अगर बात करें बच्चों की तो उनके लिए पिज़्ज़ा, बर्गर , फ्रेंच फ्राइज के आगे तो दुनिया ही नहीं है। लेकिन उनसे ज्यादा तो पेरेंट्स को सोचना चाहिए की की बच्चों को इनसब चीज़ो को लिमिट में दे।

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पर आजकल कुछ पेरेंट्स भी अपने लाजिनेस्स के कारण घर में कुछ न बनाने की बजाए उन्हें बाहर का ही खा लेने या आर्डर कर लेने की राय देते हैं। कई बार हम स्वाद के चक्कर में जरुरत से अधिक खाना खा लेते हैं। उस वक़्त खुद को रोकना मुश्किल होता है लेकिन बाद में पछताना भी पड़ता है। जब हमारा पेट इस खाने को हज़म नहीं कर पाता तो हमें अपच, एसिडिटी, कब्ज जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से जुजना पड़ता है। इतना ही नहीं, ये समस्याएं हमें कमजोर बना देती हैं व हमारी ऊर्जा के स्तर को भी घटा देती है। लेकिन हमारी 5,000 साल से भी अधिक पुरानी आयुर्वेद ने हमारे पाचन क्रिया को ख्याल रखते हुए कुछ आयुर्वेदिक टिप्स लाये हैं .

अदरक : एक महत्त्वपूर्ण पाचक है। सूखा अदरक, जिसे सोंठ कहते हैं, यह पाचन क्रिया के लिए बहुत फायदेमंद है। अदरक का एक छोटा टुकड़ा पीसकर दो कप पानी में मिलाएँ। इसमें एक चुटकी धनिया मिलाकर एक कप होने तक उबालें। इसे दिन में दो बार हलका गरम ही सेवन करें। यह भोजन से पहले या बाद में लिया जाना चाहिए। इसका सेवन रोज न करें। इसे चाय के रूप में भी तैयार किया जा सकता है। सब्जियाँ बनाने, केक इत्यादि में भी अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

घी : गाय के दूध से बना घी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, क्योंकि यह खून में कोलेस्टरोल नहीं बढ़ाता तथा वात को शांत करता है; परंतु यह कफ प्रकृति के लोगों के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए कड़वी तथा तीखी औषधियों को मिलाने के बाद इसे इस्तेमाल में लाना चाहिए। घी को खाना पकाने के लिए तेल की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इसका अत्यधिक इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदायक है।

फल : खाने में ज्यादा से ज्यादा फल का इस्तमाल करें। इससे आपकी पाचन क्रिया बिल्कुल सही रहेगी। फलों में अमरुद , अनार , संतरा का प्रयोग ज्यादा करें।