नाबालिग किशोरी के गर्भवती होने पर पंचायत का फैसला सुन काँप गई सुनने वालो की रूह

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में खाप पंचायत के तुगलकी फरमान का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां पंचायत ने नाबालिग किशोरी के गर्भवती हो जाने पर उसे ऐसी सजा दी, जिससे न तो उसे न्याय मिला, ना आरोपी को सजा। पीड़िता भरी पंचायत में अपने साथ हुई ज्यादती का सच चीख-चीख कर बताती रही। लेकिन उसकी किसी न नहीं सुनी।

 

आरोपी को बचाने के लिये पीड़िता के परिजनों ने खुद ही तुगलकी फरमान वाली पंचायत का साथ दिया, जिससे बेटी की जिंदगी नर्क बन गयी। लेकिन अब इस मामले में बड़ी कार्रवाई शुरू हो गयी है। बाल कल्याण समिति के प्रयास से पंचायत में फैसला सुनाने वाले 21 लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गयी है और पुलिस अब तुगलकी फरमान सुनाने वालों पर कार्रवाई के लिये गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है।

क्या है मामला

कौशांबी जिले में कोखराज थाना क्षेत्र के एक इलाके की रहने वाली नाबालिक किशोरी से जुड़ी यह घटना दो साल बाद कार्रवाई के मोड़ पर आयी है। पुलिस के अनुसार यहां की रहने वाली एक युवती उम्र 14 अपनी बहन के घर गयी हुई थी। जहां कुछ दिन रहने के बाद जब वह घर लौटी तो भतीजी को बढ़ती उम्र में देखकर सगे चाचा की नियत खराब हो गई। जब घर में कोई नहीं था, तब चाचा ने भतीजी को दबोच लिया और जबरन उसके साथ गंदा काम करने लगा। रेप के बाद चाचा ने भतीजी पर दबाव बनाया कि वह किसी से कुछ ना कहे, नहीं तो वह उसे जान से मार देगा। युवती डर के कारण चुप रही। लेकिन यह घटना छिप नहीं सकी। क्योंकि वह गर्भवती हो गयी। उसके गर्भवती होने की जानकारी जब मां और फिर पिता को हुई तो हड़कंप मच गया। बेटी की पिटाई की गयी तो उसने चाचा की पूरी करतूत बता दी। चाचा ने घटना से साफ इनकार करते हुये पूरा आरोप बड़ी भतीजी के देवर पर डाल दिया।

बुलायी गयी पंचायत

माता पिता से बेटी चाचा की करतूत बताती रही, लेकिन मां पिता कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे और न्याय करने के लिये जनवरी 2018 मे पंचायत बुलाई गयी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह खाप पंचायत जुटी, जिसमें दो ग्राम पंचायतों के 2 ग्राम प्रधान समेत 21 मठाधीश व बिरादरी के लोग जुटे। पंचायत में बड़ी बेटी के सुसराल पक्ष यानी आरोपी के परिजनों को बुलाया गया। पंचायत शुरू हुई तो भरी पंचायत में ही युवती के चाचा का काला सच चिल्ला-चिल्ला कर बताया, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं सुनी और फैसला सुनाया कि आरोपी बडी बेटी के देवर से उसे शादी करनी पडेगी। पंचायत में फैसला होने के बाद उसे विदा कर दिया गया।

पति ने दिया साथ तो दर्ज कराया मुकदमा

पंचायत का तुगलकी फरमान सुनाये जाने के बाद युवती ससुराल पहुंची तो बड़ी बहन समेत ससुराल के सभी लोगों ने उसका साथ निभाया और फिर पति के साथ फरवरी महीने में उसने अपने चाचा के खिलाफ कोखराज कोतवाली में रेप का मुकदमा दर्ज करा दिया। हालांकि इस मामले में कानूनी दबाव बढ़ने के बाद आरोपी चाचा को बचाने के लिये पिता व परिजन भी लामबंद हो गये और पीड़िता के पति समेत ससुरालियों पर अपहरण और दुष्कर्म की रिपोर्ट पइंसा थाने में दर्ज करा दी। मामले में पुलिस ने जांच शुरू की तो पइंसा पुलिस ने पीड़िता को उसके ससुराल से बरामद कर लिया। 9 मई 2018 को पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया। बाल कल्याण समिति ने गहरी पूछताछ की और साक्ष्य जुटाने शुरू किये। लंबी जांच पडताल के बाद समिति ने पाया कि पीड़िता के साथ बहुत अन्याय हुआ है। मामले में बाल कल्याण समिति ने पीड़िता को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया तो 17 मई 2019 को कानूनी कार्रवाई शुरू की गयी। जिसके सतहत समिति के विनय मिश्रा ने अलका के पिता, दोनों गांवों के प्रधान और पंचायत में मौजूद लोगों के खिलाफ जबरन बाल विवाह कराने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी।

डीएनए टेस्ट से होगा फैसला

कोखराज थाने के इंस्पेटर राजकुमार शर्मा ने बताया कि पीड़िता के बच्चे का पिता कौन है, यह अब डीएनए टेस्ट से ही पता चल सकेगा। क्योंकि अभी तक की जांच में इस एंगल पर स्थिति असमंजस में है। अब बच्चे के साथ पीड़िता के चाचा और उसकी बहन के देवर का भी डीएनए होगा। डीएनए टेस्ट से यह साफ हो जायेगा कि बच्चा किसका है। डीएनए रिपोर्ट के बाद धाराओं को बढाकर मामले में सख्त कार्रवाई की जायेगी। फिलहाल जबरन बाल विवाह आदि के मामले में आरोपियों के विरूद्ध अब कार्रवाई की जायेगी।