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सुपाच्य  मानसिक विकास के लिए अच्छा
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. इसे नियमित लेने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं. दांतों और हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम की ज्यादा आवश्यकता होती है. इसमें प्रचुर कैल्शियम दांत, हड्डियों को मजबूत करता है. दूध से स्कीन निखरती है. दूध मिलाकर नहाने से भी स्कीन में चमक आती है.


किस गौ माता का दूध कितना अच्छा 
बच्चों के लिए मां के दूध के बाद गौ माता का दूध अच्छा माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार यह बुद्धि को बढ़ाने वाला होता है. आयु के अनुसार  ठीक ढंग से लेने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक ढंग से होता है. काली गौ माता का दूध सर्वाेत्तम बताया गया है. यह  भूरी और चितकबरी गौ माता का दूध वातनाशक होता है. पीली गौ माता का दूध वात के साथ पित्त नाशक होता है. श्वेत का दूध कफप्रद है.
100 मि ली दूध में इन सात तत्वों की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है 
दूध पीने की मात्रा आदमी की पाचन क्षमता और बीमारी पर निर्भर करती है. रात में दूध पीना सबसे अच्छा माना जाता है. प्रातः काल छाछ, मक्खन का इस्तेमाल सर्वोत्तम होता है.बच्चों और बुजुर्गों को दूध की ज्यादा आवश्यकता होती है.

प्रोटीन

भैंस के दूध में गौ माता के दूध की अपेक्षा प्रोटीन अधिक होता है. भैंस के दूध में 18 फीसदी तो गौ माता के दूध में 16 फीसदी प्रोटीन होता है. ज्यादा प्रोटीन के कारण भैंस का दूध कम सुपाच्य  गौ माता का दूध अधिक पाचक होता है.
फैट

भैंस के दूध में 7 फीसदी और गौ माता के दूध में 4 फीसदी फैट होता है. ऐसे लोग जिन्हें खाना नहीं पचता, डाइटिंग या जिमिंग करते हैं उनके लिए गौ माता का दूध अच्छा है. भैंस के दूध में कार्बोहाइड्रेट 13 ग्राम और गौ माता में 12 ग्राम होता है.

कैलोरी

भैंस के 100 मि ली दूध में 110 कैलोरी और गौ माता के दूध में 66 कैलोरी होती है. भैंस के दूध से बने डेयरी उत्पाद को ज्यादा समय के लिए स्टोर किया जा सकता है जबकि गौ माता के दूध वाली चीजों को नहीं कर सकते हैं.
कैल्शियम

भैंस के दूध में कैल्शियम 41 प्रतिशत, गौ माता के दूध में 27 फीसदी होता है. भैंस के दूध में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सोडियम की मात्रा अधिक होती है. गौ माता में विटामिन ए 9 फीसदी तो भैंस के दूध में 7 फीसदी होता है.
कोलेस्ट्रोल

भैंस के दूध में गौ माता की अपेक्षा कोलेस्ट्रोल कम होता है. यह पीसीओडी, हाइपरटेंशन, किडनी रोग  मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए फायदेमंद है. गौ माता के दूध का घी पित्त शांत करता है और भैंस का घी कफ बढ़ाता है.
विटामिन-मिनरल्स

भैंस के दूध में सोडियम 127 मिग्रा और गौ माता में 105 मिग्रा होता है. यह स्त्रियों और बच्चों के लिए अधिक उपयोगी होता है. भैंस के दूध में 2 फीसदी आयरन होता है जबकि गौ माता के दूध में नहीं होता है.
पानी: गौ माता के दूध में करीब 87 फीसदी तक पानी होता है. इसलिए यह बहुत ज्यादा हल्का होता है. गौ माता का दूध शरीर को हाइड्रेटेड रखता है. लेकिन भैंस के दूध में ज्यादा पानी (83 फीसदी) होता है. इसके अतिरिक्त भैंस के दूध में उसे गाढ़ा बनाने वाले पदार्थ ज्यादा होते हैं.
पीलेपन की वजह 
देसी गौ माता के हम्प (थुई-गर्दन के पास उठा भाग ) को सूर्य केतु नाड़ी भी कहते हैं. सौर किरणों के संपर्क में आने से यह नाड़ी सक्रिय होती है. इस कारण इसका दूध स्वर्णिम आभा युक्त होता है. यह दूध मस्तिष्क के विकास  जटिल बीमारियों से बचाव में मददगार माना जाता है. विदेशी गौ माता में यह हम्प नहीं होने से उसमें वह तत्व नहीं होता है.
इसलिए सर्वश्रेेष्ठ
गाय का दूध शरीर में वायरस अटैक को कम करता है. इसमें शरीर को सुरक्षा देने के लिए कई तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को बाहरी कीटाणुओं से रक्षा करते है. फैरीब्रो नामक तत्व याद्दाश्त बढ़ाता है. सूर्य केतु नाड़ी की वजह से दूध में कैरोटीन एंजाइम्स पाया जाता है जो विटामिंस की पूर्ति करता है. गौ माता का धारोष्म यानी तुरंत निकला हुआ दूध नेत्र ज्योति, कैंसर और कई जटिल दोषों को दूर करने वाला होता है. यह तर्क शक्ति को भी बढ़ाता है. यह सात धातुओं रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा  शुक्र वद्र्धक होता है. इसे सर्व रोगनाशक बताया गया है. स्ट्रोनसीएन तत्व मस्तिष्क के विकास के लिए लाभकारी है. इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो रक्त और नाडिय़ों में होने वाली रुकावट को ठीक करता है.