दस लाख मुस्लिम आबादी पर अब सरकार देगी एक हजार लोगो को हज जाने की अनुमति, जानिए ये है वजह

अपने दूसरे कार्यकाल में पीएम नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास नारे में सबका विश्वास भी शामिल कर लिया. सभी वर्गों का विश्वास जीतने के लिए इस दिशा में सरकार ने कदम उठाने प्रारम्भ भी कर दिए हैं.

हाल ही में जी 20 शिखर सम्मेलन में विभिन्न राष्ट्रों के राजनेताओं के साथ पीएम ने अपने देश के हितों से जुड़ी बातें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से मुलाकात कर हज यात्रा के लिए भारतीय मुसलमानों का वार्षिक कोटा दो लाख बढ़वा लिया है.

कैसे तय होता है हज कोटा

सऊदी अरब मुस्लिम आबादी के आधार पर राष्ट्रों को कोटा आवंटित करता है. उदाहरण के तौर पर हर 10 लाख मुसलमानों में 1,000 तीर्थयात्री. हिंदुस्तान हज यात्रियों का तीसरा सबसे बड़ा देश है. 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदुस्तान में 13.8 करोड़ से अधिक की मुस्लिम आबादी थी. उस लिहाज से 1,38,000 का कोटा होना चाहिए था. हालाँकि, उस समय हिंदुस्तान का कोटा 1,25,000 था. इस समय हिंदुस्तान में अनुमानित मुसलमानों की आबादी 17.2 करोड़ मानी जा रही है. ऐसे में हिंदुस्तान का कोटा 1.72 लाख होना चाहिए.

घट भी सकता है कोटा

ऐसा भी नहीं है कि कोटा एक बार निर्धारित हो जाता है, फिर कम नहीं होता है. यह सऊदी सरकार के ऊपर निर्भर है. वह कारण  परिस्थितियों के आधार पर हज का कोटा घटा भी सकती है. 2013 से 2016 तक सऊदी के हरम शरीफ में निर्माण काम के चलते हिंदुस्तान के कोटे में 20 फीसद कटौती की गई थी. इसे 1,36,020 कर दिया गया था, जो 2012 में करीब 1,70,000 था. 2017 में 34, 005 का कोटा बढ़ाया गया था, जबकि 2018 में मात्र 5,000 ही बढ़ा था.

क्या आवेदन कम आते हैं

नहीं आवेदन करने वालों की संख्या ज्यादा होती है. पिछले वर्ष 3,55,604 लोगों ने हज यात्रा के लिए आवेदन किया था जबकि कुल सीट 1,75,025 थीं. जिसमें 50 हजार बढ़ाई गई थीं.

खाली रह जाती हैं सीटें

कोटा बढ़ाने की बात जरूर हो रही है, लेकिन कई बार ऐसा हुआ है कि हिंदुस्तान को जो कोटा मिला है उतने लोग भी हज यात्रा पर नहीं जा पाते. उदाहऱण के लिए 2017 में हिंदुस्तान को 1,25,025 हज यात्रियों का कोटा मिला था, लेकिन उसके मुकाबले मात्र 1,24,852 यात्री ही जा पाए. इसके अतिरिक्त 2018 में भी 1,28,702 के मुकाबले 1,28,690 ही गए. 2008 में कोटे से करीब 1400 कम हज यात्री गए थे.