जानिए मायावती इस वजह से अकेले लड़ना चाहती है चुनाव, बावजूद इसके

लोकसभा चुनाव में गठबन्ध के बावजूद अपेक्षाकृत सफलता न मिलने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में होने वाले 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया है
 दरअसल, गठबंधन तोड़ पहली बार उपचुनाव लड़ने का निर्णय करना मायावती के लिए एक इस्तेमाल है जानकारों की मानें तो पीएम बनने का सपना टूटने के बाद अब वे 2022 के विधानसभा चुनाव में सीएम का ख्वाब देख रही हैं यही वजह है कि उन्होंने गठबंधन को अपरोक्ष रूप से तोड़ दिया है क्योंकि गठबंधन के समय यही तय हुआ था कि मायावती राष्ट्रीय पॉलिटिक्स में होंगी  अखिलेश प्रदेश की विरासत संभालेंगे

जब लोकसभा चुनाव के परिणाम अनुकूल नहीं आए तो पॉलिटिक्स ने दूसरी तरफ करवट ले ली है सपा  बीएसपी एक बार फिर नयी परिस्थितियों में खुद को आंकने की बात कर रहे हैं दरअसल मायावती अब फिर से उत्तर प्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करना चाहती हैं शून्य से 10 पर पहुंची मायावती पीएम का सपना धराशायी होने के बाद अपने कोर वोटर के साथ मुस्लिम वोट बैंक का इस्तेमाल उपचुनाव में करना चाहती हैं मायावती यह देखना चाहती हैं कि दलित-मुस्लिम वोटर उनके लिए कितना लाभकारी हैं साथ ही वे उपचुनाव में कुछ सीटें जीतकर राज्यसभा के लिए भी अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहती हैं
10 में से 8 सीटों पर बीएसपी को मिले 50 प्रतिशत से ज्यदा वोट

वैसे अगर बात करें वोट शेयर की तो बीएसपी का मत फ़ीसदी कम हुआ है बावजूद इसके पार्टी 10 सीटें जीतने में सफल रही इतना ही नहीं आठ सीटों पर उसका मत फीसदी 50 फ़ीसदी से भी ऊपर रहा है ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर निरंयक किरदार में है मसलन सहारनपुर, नगीना, बिजनौर घोसी यही वजह है कि मायावती आने वाले उपचुनाव में इस इस्तेमाल को एक बार फिर आजमाना चाहती हैं ताकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वे अपनी रणनीति को अमली जामा पहना सकें

11 सीटों में 7 पर भाजपा के कुल वोट सपा-बसपा गठबंधन से अधिक

अकेले उपचुनाव में उतरने की एक वजह ये भी है कि जिन 11 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां सपा-बसपा गठबंधन का अंकगणित भी उनके साथ नहीं है 2017 के चुनाव के मुताबिक 11 में से सात सीटों पर भाजपा को मिले वोट सपा-बसपा के वोट से ज्यादा हैं इन 11 सीटों में से भाजपा के पास 9 सीटें थीं जबकि एक-एक सीट सपा  बीएसपी के खाते में गई थीसपा  बीएसपी की जीती हुई सीट को छोड़ दिया जाए तो जैदपुर  प्रतापगढ़ सीट पर ही गठबंधन के कुल वोट भाजपा से अधिक हैं