जानिए ऐसे बनाए लौकी का परांठा व मिर्च के पकौड़े

गरमी में लौकी का उत्पादन बहुतायत में होता है. दरअसल, लौकी मुख्य रूप से गरमी की सब्जी है. बेशक अब यह बारहों महीने उपलब्ध रहती है, पर जो मजा गरमी में लौकी खाने का है, वह सर्दी में नहीं आता. लौकी की सब्जी, कोफ्ते आदि तो आमतौर पर खाए जाते हैं. इसकी मिठाई भी बनती है, पर इसका परांठा बना कर खाएं, लाजवाब बनता है.

गों के लिए प्रातः काल के नाश्ते का मतलब ही है परांठा. सो, उनके लिए लौकी का परांठा एक नया व्यंजन होने कि सम्भावना है. लौकी का परांठा बनाना बहुत असान है. जैसे मूली, गोभी वगैरह का परांठा बनाते हैं, वैसे ही लौकी का परांठा बनाया जाता है. इसके लिए ताजा कच्ची लौकी लें. ध्यान रहे कि उसके बीज मोटे न हों. लंबी वाली मुलायम लौकी का स्वाद अच्छा रहता है. लौकी का छिलका उतार कर मोटे छेद वाले कद्दूकस पर कस लें.

अब जितनी लौकी ली है, उतनी ही मात्रा में आटा लें. जैसे आधा किलो लौकी ली है, तो आधा किलो ही अटा लें. उसमें कद्दूकस की हुई लौकी डालें. निचोड़ें नहीं. उसमें बारीक कटी कुछ हरी मिर्चें, धनिया पत्ता, एक चम्मच अजवाइन, एक चम्मच सब्जी मसाला, आधा से एक चम्मच कुटी लाल मिर्च, एक चम्मच धनिया पाउडर  आवश्यकता भर का नमक डालें  इन सबको मिलाते हुए गूंथ लें. अगर परांठा खस्ता बनाना चाहते हैं, तो इसमें एक से डेढ़ चम्मच ऑयल या घी गरम करके डाल लें. लौकी के रस में आटा बहुत ज्यादा हद तक नरम हो जाएगा.

फिर ऊपर से पानी का छींटा देते हुए आटा गूंथ लें. आटे को ज्यादा नरम न रखें, क्योंकि लौकी बाद में भी रस छोड़ सकती है. इस आटे को आधे घंटे के लिए सेट होने को रख दें.अब आटे की छोटी-छोटी लोइयां लेते हुए सूखा आटा लगा कर रोटी की तरह बेलें. ऊपर से ऑयल या घी चुपड़ कर उसे दो-तीन परत में मोड़ कर फिर से परांठे की शक्ल में बेल लें. आप अपने तरीका से परांठे को आकार दे सकते हैं. अगर खस्ता परांठा खाने का मन हो, तो इससे लच्छे परांठे भी बनाए जा सकते हैं.

तवा गरम करें  मध्यम आंच पर ऑयल लगा कर चित्तीदार होने तक सेंक लें. गरमागरम परांठा नाश्ते के लिए तैयार है. कुछ लोग भरा हुआ परांठा पसंद करते हैं. मगर लौकी का भरवां परांठा वैसे स्वादिष्ट नहीं बनता, जैसे मूली  गोभी का बनता है. इसलिए लौकी को आटे में गूंथ कर ही बनाएं  दही या रायता  हरी चटनी के साथ आनंद लें.

मिर्च के पकौड़े
कहते हैं, अगर गरमी में मिर्च का उपयोग अधिक करें, तो उससे लू लगने की आसार कम हो जाती है. मिर्च खाने से प्यास अधिक लगती है  आप बार-बारी पानी पीते हैं. इस तरह निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है. ऐसे में मिर्च के पकौड़े शाम के नाश्ते में बेहतर विकल्प हो सकते हैं.

मिर्च के पकौड़े राजस्थान  महाराष्ट्र में खूब खाए जाते हैं. मिर्च के पकौड़े बनाने के लिए मोटी हरी मिर्चों का प्रयोग होता है, जो आजकल हर स्थान सरलता से मिल जाती हैं. इन मिर्चों को धो-पोंछ कर साफ कर लें. इसमें भरने के लिए आलू की पिट्ठी तैयार करनी पड़ती है. इसके लिए आलू परांठे के लिए पिट्ठी तैयार करते हैं, वैसे ही पिट्ठी तैयार करें.

उबले आलुओं को कद्दूकस कर लें. उसमें कुटी लाल मिर्च, गरम मसाला, धनिया पाउडर, आमचूर, चुटकी भर हींग, बारीक कटी हरी मिर्च, हरा धनिया, अदरक  आवश्यकता भर का नमक डाल कर अच्छासे मसल कर मिला लें. अगर इसमें इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इस पिट्ठी को डोसे की पिट्ठी की तरह हल्के ऑयल में राई-जीरे का तड़का लगा कर हल्का भून सकते हैं.

अब पकौड़ों के लिए बेसन का घोल तैयार करें. इसके लिए चार-पांच चम्मच बेसन लें. उसमें हल्दी पाउडर, चुटकी भर हींग, आधा चम्मच गरम मसाला  आधा चम्मच अजवाइन डालें.कुछ लोग इस घोल को फ्लफी बनाने के लिए खाने का सोडा या ईनो डालते हैं. कुछ लोग अंडा भी डालते हैं. पर अगर बेसन को अच्छा से फेंट लिया जाए, तो इन सब चीजों की आवश्यकता नहीं पड़ती. बेसन में हमेशा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए फेंटना चाहिए.

बेसन को तब तक एक ही दिशा में फेंटते रहें, जब तक कि उसका रंग पीला से हल्का सफेद न होने लगे. घोल को गाढ़ा ही रखें, ताकि वह मिर्चों के ऊपर सरलता से चढ़ जाए. अब मिर्चों में एक तरफ लंबाई में चीरा लगाएं  उसके बीजों को सावधानी निकाल लें.

इसी चीरे की तरफ से आलू की पिट्ठी भरें  फिर हथेली में मुट्ठी बनाते हुए मिर्चों के बाहरी हिस्स में भी ऊपर से पिट्ठी की परत चढ़ा लें. एक कड़ाही में भरपूर ऑयल गरम करें. जब ऑयल गरम हो जाए तो आंच को मध्यम कर दें. भरी हुई मिर्चों को बेसन के घोल में डुबोते हुए गरम ऑयल में डालते जाएं. सुनहरा-भूरा होने तक तलें. पकौड़े तैयार हैं. इन्हें मीठी या फिर हरी चटनी के साथ गरमागरम खाएं.