जानिए ऐसे बचे ऑनलाइन गेम की बढ़ती लत से

रोहित बहुत शर्मीले स्वभाव का लड़का है उसे लोगों से मिलने या नए दोस्त बनाने में बड़ी हिचक होती है, लेकिन जब वो सोशल नेटवर्किंग साइट पर होता है, तो उसका एक अलग ही रूप देखने को मिलता है

सोशल साइट्स पर रोहित के हज़ारों दोस्त  फॉलोवर्स हैं हैरानी तो तब हुई, जब ये पता चला कि अपने आस-पास की
लड़कियों को आंख उठाकर भी न देखने वाले रोहित की सोशल साइट्स पर कई गर्लफेंड्स हैं, जिसने वो अश्‍लील  उत्तेजक चैट करता है सोशल मीडिया का ये हीरो असल ज़िंदगी में बेहद अकेला है

इंटरनेट ना चले, तो वह बेचैन हो जाता है उसे सोशल मीडिया की संसार में खोए रहना ही लुभाता है रोहित जैसे कई युवा हैं, जो अपना काम, पढ़ाई, रिश्ते-नातों को ताक पर रखकर सोशल मीडिया की आभासी संसार में खोए रहना पसंद करते हैं सोशल मीडिया पर अपनी फोटो पर मिलने वाले लाइक्स  कमेंट्स से ख़ुश होने वाले ये युवा असल ज़िंदगी की ख़ुशियों से दूर होते जा रहे हैं उन्हें इस बात का अंदाज़ा भी नहीं होता कि जब उन्हें असल ज़िंदगी में किसी वस्तु की ज़रूरत होगी, तो इनमें से कोई भी उनके साथ नहीं होगा

ऑनलाइन गेम की बढ़ती लत
चाहे बच्चे हों या बड़े, सब ऑनलाइम गेम के इस कदर दीवाने हो गए हैं कि इसके लिए वो अपनी पढ़ाई, काम, यहां तक कि नींद से भी समझौता कर लेते हैं औनलाइन गेम के दीवाने युवा जब सोते समय गेम खेलते हैं, तो उन्हें समय का बिल्कुल भी होश नहीं रहता  देर रात सोने से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे अगले दिन उनकी पढ़ाई  कार्य प्रभावित होता है ये सिलसिला जब लंबे समय तक चलता है, इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई  कार्य पर साफ़ झलकने लगता है, जिसके कारण उनका आत्मविश्‍वास कम होने लगता है औनलाइन गेम का ये बढ़ता क्रेज़ युवाओं का बहुत सारा समय नष्ट कर रहा है, जिसका उनके भविष्य पर ख़तरनाक प्रभाव पड़ सकता है

मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
एक्सपर्ट्स के अनुसार, डिजिटल एडिक्शन एक ऐसी लत है, जो युवाओं की सोचने-समझने की क्षमता को कम कर रही है, जिससे उनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता सोशल मीडिया की लत उन्हें उनके रिश्तों से दूर ले जा रही है जिस तरह किसी शराबी या जुआरी को अपनी लत के आगे कुछ नज़र नहीं आता, उसी तरह डिजिटल एडिक्शन की लत के कारण युवाओं की पढ़ाई, करियर, फैमिली  सोशल जीवन भी डिस्टर्ब हो रही है युवाओं का डिजिटल एडिक्शन उन्हें इन सबसे दूर कर रहा है डिजिटल एडिक्शन के शिकार कई युवाओं की ये लत जब नहीं छूटती, तो कई बच्चों के पैरेंट्स उन्हें उपचार के लिए चिकित्सक के पास भी ले जाते हैं डिजिटल एडिक्शन के कारण युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसके कारण उनके सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगी है शुरू-शुरू में तो समझ में नहीं आता, लेकिन समस्या जब गंभीर हो जाती है, तो इसका उपचार कराने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं होता

क्या कहते हैं आंकड़े? 

  • दस राष्ट्रों के 10,000 लोगों पर ए टी कियर्नी द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि 53 फ़ीसदी भारतीय हर घंटे इंटरनेट से जुड़े रहते हैं जो कि वैश्‍विक औसत 51 फ़ीसदी से ज़्यादा है इनमें 77 फ़ीसदी लोग सोशल नेटवर्किंग साइटों पर रोज़ाना लॉग इन करते हैं दस राष्ट्रों के 10,000 लोगों पर ए टी कियर्नी द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई कि 53 फ़ीसदी भारतीय हर घंटे इंटरनेट से जुड़े रहते हैं जो कि वैश्‍विक औसत 51 फ़ीसदी से ज़्यादा है इनमें 77 फ़ीसदी लोग सोशल नेटवर्किंग साइटों पर रोज़ाना लॉग इन करते हैं
  •  एक ग्लोबल आईटी सुरक्षा निवारण फर्म की प्रयोगशाला द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि 1007 भारतीय युवाओं में से 73 फ़ीसदी डिजिटल एडिक्शन के शिकार हैं ये हर मुमकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म से लगातार खुद को इंटरनेट के माध्यम से जोड़े रहते हैं ये युवा जितनी देर जागते हैं, उतनी देर सोशल मीडिया पर अपना व़क्त गुजारते हैं ये घंटों गेम खेलते हैं, वीडियो देखते हैं, चैट करते हैं, रीट्वीट करते हैं, समाचार  आर्टिकल पढ़ते हैं, ई-कॉमर्स की साइटें देखते हैं फोन का खो जाना इनके लिए सबसे बड़ी तकलीफ़ का विषय है
  •  रिसर्च के मुताबिक, हिंदुस्तान में 18 से 30 वर्ष के बीच पांच में से दो युवा ऐसे हैं जो अपने Smart Phone के बगैर इस तरह बेचैन हो जाते हैं, जैसे उनके शरीर का कोई ज़रूरी अंग ग़ायब हो गया हो इनमें से 96 फ़ीसदी सवेरे उठकर सबसे पहले सोशल मीडिया पर जाते हैं 70 फ़ीसदी युवाओं का बोलना है कि वे ई-मेल  सोशल मीडिया को चेक किए बिना जी नहीं सकते अपने बच्चों को डिजिटल एडिक्शन से कैसे बचाएं?
    इससे पहले कि बहुत देर हो जाए  डिजिटल एडिक्शन की लत आपके बच्चे को मानसिक रोगी बना दे, आपको अपने बच्चे को डिजिटल एडिक्शन से दूर करना होगा आप अपने बच्चे को डिजिटल संसार से पूरी तरह अलग तो नहीं कर सकते, लेकिन उनके लिए कुछ सख़्त नियम बनाकर आप उन्हें इस लत से बचा सकते हैं
    * अपने बच्चों को दिन-रात फोन से चिपके न रहने दें, उनके सोशल मीडिया पर जाने के लिए टाइम फिक्स कर लें
    * आपका बच्चा किन सोशल साइट्स पर रहता है, कितनी देर गेम खेलता है, इस पर नज़र रखें
    * घर में ये नियम बनाएं कि शाम के समय पूरा परिवार जब एक साथ हो, तो उस समय कोई भी फोन का इस्तेमाल नहीं करेगा
    * बच्चों के सामने आप ख़ुद सोशल साइट्स पर न रहें, इससे उन्हें बढ़ावा मिलेगा
    * बच्चों को उनकी पसंद की गतिविधियों में व्यस्त रखें, ताकि उनके पास खाली समय न हो
    * अपने बच्चों को रात में सोने से पहले फोन को स्विच ऑफ करने या फ्लाइट मोड पर रखने को कहें  * बच्चों के सोने का टाइम फिक्स कर दें, उसके बाद उन्हें मोबाइल प्रयोगकरने की इजाज़त न दें