जलवायु बदलाव के गंभीर परिणामों पर से पर्दा हटाने वाली रिपोर्ट जारी

जलवायु बदलाव के गंभीर परिणामों पर से पर्दा हटाने वाली रिपोर्ट जारी कर दी गई है. ग्लोबल वार्मिंग अगर 2.7 डिग्री फारेनहाइट (1.5 डिग्री सेल्सियस) तक बढ़ जाएगा तो इसका प्रभाव संभावना से कहीं ज्यादा बदतर होगा. क्लाइमेंट चेंज पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल (आईपीसीसी) ने रविवार को दक्षिण कोरिया के इचियन में जारी एक व्यापक मूल्यांकन के आधार पर यह अंदेशा जाहिर किया गया. जलवायु बदलाव पर यह बहुत अहम समीक्षा रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में हिंदुस्तान के लिए भी बड़ी चेतावनी है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसे दशा से बचने के लिए ग्रीन हाउस गैस  कार्बन उत्सर्जन को कम करना ही होगा.

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जलवायु बदलाव के गंभीर खतरों से आगाह करती इस रिपोर्ट में बोला गया है कि यदि संसार का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो हिंदुस्तान को वर्ष 2015 की तरह जानलेवा गर्म हवाओं का सामना करना पड़ेगा. वर्ष 2015 में करीब 2,500 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुमानों पर इस वर्ष दिसंबर में पोलेंड में जलवायु बदलाव पर होने वाली मीटिंग में चर्चा होगी. इस मीटिंग में संसार भर की राष्ट्र जलवायु बदलाव को रोकने के लिए पेरिस समझौते की समीक्षा करेंगे. सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक राष्ट्रों में से एक होने के कारण हिंदुस्तान इस वैश्विक मीटिंग में जरूरी किरदार अदा कर सकता है.

बढ़ते तापमान पर खतरे की घंटी बजाते हुए इस रिपोर्ट में बोला गया है कि औसत वैश्विक तापमान 2030 तक 1.5 डिग्री (प्री-इंडिस्ट्रियल लेवल से अधिक) के स्तर तक पहुंच सकता है.रिपोर्ट में बोला गया है, ‘यदि तापमान इसी गति से बढ़ता रहा तो ग्लोबल वार्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्यिस तक बढ़ सकता है.

कोलकाता, कराची पर बड़ा खतरा: रिपोर्ट 

यह रिपोर्ट इंडियन उपमहाद्वीप में उन शहरों खासतौर से कोलकाता  काराची का जिक्र करती है जहां गर्म हवाओं का सबसे अधिक खतरा है. कोलकाता  कराची में 2015 जैसे दशासालभर रह सकते हैं. रिपोर्ट बताती है कि जलवायु बदलाव की वजह से गर्म हवाओं के कारण होने वाली मौतें बढ़ रही हैं.

रिपोर्ट में बोला गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने के लिए इंसानों द्वारा पैदा किए गए कार्बन उत्सर्जन को 2010 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करने की आवश्यकता है, जिसे 2050 तक बिलकुल शून्य करना होगा.

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गरीबी  महंगाई बढ़ेगी

आईपीसीसी रिपोर्ट से संकलित ‘1.5 हेल्थ रिपोर्ट’ को लेकर विश्व सेहत संगठन  क्लाइमेट ट्रैकर ने बोला है कि 2 डिग्री सेल्यिस तापमान बढ़ने पर हिंदुस्तान  पाक पर सबसे बुरा प्रभावहोगा. जलवायु बदलाव के कारण खाद्य असुरक्षा की वजह से गरीबी बढ़ेगी, खाद्य पदार्थ महंगे होंगे, आमदनी में कमी, आजीविका के अवसरों में कमी, जनसंख्या पलायन  बेकार सेहतजैसी समस्याएं भी होंगी.

रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गरीबी भी बढ़ेगी. इसमें बोला गया है, ‘ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्यिस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग जलवायु बदलाव से जुड़े खतरों  गरीबी में जाने से बच जाएंगे.‘ तापमान वृद्धि की इस सीमा से मक्का, धान, गेंहूं  दूसरे फसलों में कमी भी रुक सकती है.

बता दें कि हिंदुस्तान ने पिछले वित्त साल में केवल थर्मल क्षमता सेक्टर से करीब 929 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन किया था, जो कि राष्ट्र का 79 प्रतिशत क्षमता जेनरेट करता है.