जयपुर के सबसे अमीर महाराजा और ब्रिगेडियर भवानी सिंह का आज जन्मदिन

जयपुर के आखिरी महाराजा और ब्रिगेडियर भवानी सिंह का आज जन्मदिन (22 अक्टूबर, 1931) है. भवानी सिंह की राजशाही और सेना में किए गए उनके कार्य के बारे में हर कोई जानता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जयपुर के इस महाराजा को चुनावी रण में एक आम नेता से हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें यह हार जयपुर से कई बार सांसद रहे गिरधारी लाल भार्गव से मिली थी और यह एक ऐतिहासिक चुनाव था.

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बात साल 1989 के लोकसभा चुनाव की है, जब राजस्थान की राजधानी जयपुर लोकसभा सीट से हर बार की तरह भारतीय जनता पार्टी ने गिरधारी लाल भार्गव को चुनावी रण में उतारा. वहीं उनके सामने थे जयपुर के महाराजा भवानी सिंह. बता दें कि गिरधारी लाल भार्गव सामान्य पृष्ठभूमि से आते थे और उनका एक नारा ‘जिसका कोई न पूछे हाल, उसके संग गिरधारी लाल’ बहुत मशहूर था. यह चुनाव एक राजा और एक आम आदमी के बीच था.

देर रात शादियों में पहुंचते थे

भार्गव लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले नेता थे. उन्होंने ही कई लावारिस शवों की अस्थियों का विसर्जन किया था और वो अपने कार्यकाल में यह करते रहे. स्थानीय जानकारों का कहना है कि इस चुनाव के दौरान भी वो प्रचार में काफी व्यस्त थे, लेकिन वो रात को दो बजे शादी में पहुंचते थे और लावारिस शवों का संस्कार करने का काम करते थे. इसके अलावा वे स्कूटर पर ही शहर में जनसंपर्क करना पसंद करते थे.

इस चुनाव में भवानी सिंह के लिए चुनाव जीतना थोड़ा मुश्किल था. इसलिए उन्होंने आम आदमी से जुड़ने का काफी प्रयास किया और गिरधारी लाल भार्गव के नारे के खिलाफ एक नारा दिया- ‘म्हे थांका और थे म्हारा’. इसका मतलब है ‘हम आपके और आप हमारे’. कहा जाता है कि उस दौरान जयपुर के शाही परिवार के लिए आने-जाने के लिए बनाया गया ‘त्रिपोलिया गेट’ भी आम आदमी के लिए खोल दिया गया था. हालांकि भवानी सिंह के सभी दावें फेल हो गए और लंबे प्रचार के बाद भी इस ऐतिहासिक चुनाव में भवानी सिंह करीब 84 हजार 497 वोटों से हार गए.