जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने विपक्षी नेताओं व राहुल गांधी को श्रीनगर हवाई अड्डे से ही कर दिया वापस

राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर से वापस भेज दिया गया है। विपक्षी नेताओं के श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद वहां हंगामा शुरू हो गया था। प्रशासन ने उन्हें हवाई अड्डे से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी थी। जिसके कारण सभी नेता सुरक्षा बलों की मौजूदगी में वीआईपी लाउंज में बैठे हुए थे।

राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, एनसीपी नेता माजिद मेमन, सीपीआई लीडर डी. राजा के अलावा शरद यादव सहित कई दिग्गज नेता जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए घाटी पहुंचे थे। प्रशासन ने उन्हें पहले ही उनसे अपने दौरे को टालने की अपील की थी।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने के बाद श्रीनगर समेत कुछ शहरों में प्रतिबंध लगे हैं। इस बीच, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने विपक्षी नेताओं से न आने और शांति व्यवस्था बनाने में मदद करने को कहा है।

सूत्रों के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, माकपा से सीताराम येचुरी, भाकपा के डी. राजा, डीएमके के टी सिवा, राजद के मनोज झा और तृणमूल से दिनेश त्रिवेदी शामिल होंगे। इनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी जाने की बात कही जा रही है। इस बीच शुक्रवार देर शाम वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की।

एनसीपी नेता मजीद मेमन बोले सरकार के विरोध में नहीं जा रहे हैं
प्रतिनिधिमंडल रवाना होने से पहले एनसीपी नेता मजीद मेमन ने कहा कि आज यानी कि शनिवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद कहीं जाने और गड़बड़ी पैदा करना नहीं है, हम सरकार के विरोध में नहीं जा रहे हैं। मेमन ने कहा कि हम सरकार के समर्थन में जा रहे हैं ताकि हम भी सुझाव दे सकें कि क्या किया जाना चाहिए।

राजनीतिक नेताओं को नजरबंद क्यों किया- गुलाम नबी आजाद
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक तरफ सरकार का कहना है कि स्थिति सामान्य है, दूसरी तरफ वे किसी को भी जाने की अनुमति नहीं देते हैं। आजाद ने सवाल उठाया कि अगर चीजें सामान्य हैं तो राजनीतिक नेताओं को नजरबंद क्यों किया जाता है?