कैलाश विजयवर्गीय ने कहा इस वजह से पश्चिम बंगाल में नहीं जीत सकते 30 सीटे

लोकसभा चुनावों में जिन नए क्षेत्रों में बीजेपी ने शानदार बढ़त हासिल की है, उनमें पश्चिम बंगाल सबसे जरूरी है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव  पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने दीदी के अभेद किले को ध्वस्त करने के अभियान की कमान संभाली थी.

सवाल : उत्तर प्रदेश में जितना नुकसान नहीं हुआ, उससे ज्यादा भरपाई पश्चिम बंगाल में हुई, कैसे संभव हुआ ?
जवाब: चार वर्ष पहले जब अमित शाह जी ने यह जिम्मेदारी दी तो मुझे लगा कि यह 10-15 वर्ष का एजेंडा है. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व  बीजेपी अध्यक्ष की रणनीति ने सिर्फ चार वर्षों में एक ऐसे किले को ध्वस्त कर दिया, जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था.

सवाल : प्रदेश में चुनाव के दौरान हिंसा के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं ?
जवाब : हिंसा के लिए दीदी का अहंकार जिम्मेदार है. बंगाल में पॉलिटिक्स  हिंसा एक दूसरे के पर्याय हैं. तीन दशक से यह चल रहा है. सीपीएम की हिंसा से आजिज लोग दीदी को लाए.लेकिन हिंसा कम होने की बजाय बढ़ गई. लोगों को अब अपने फैसला पर पछतावा हो रहा है. लोग शांति चाहते हैं, इसलिए शांति पसंद मतदाता बीजेपी की तरफ आ गया है.

सवाल : बीजेपी का लक्ष्य 23 सीटों का था लेकिन 18 पर ही कैसे अटक गए ?
जवाब : सारे चुनाव के दौरान प्रदेश में गुंडातंत्र हावी रहा जो सरकार प्रायोजित था. यदि चुनाव आयोग उन्हें रोकने में पास रहता तो बीजेपी कम से कम तीस सीटें जीतती. चुनाव में दीदी के इशारे पर वैध एवं गैरकानूनी हथियारों का प्रयोग हुआ. पुलिस ने उनकी मदद की. इसलिए हमारी सीटें कम आई. पिछले चार वर्षों में हमारे 102 कार्यकर्ता मारे गए हैं.

सवाल : आपकी जंग सीधे तृणमूल से थी, लेकिन आपने सीपीएम  कांग्रेस पार्टी के वोट काटे हैं. क्योंकि दीदी के वोट फीसदी में ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा है ऐसा क्यों ?
जवाब : हां, सीपीएम  कांग्रेस पार्टी का वोट फीसदी घटा है जबकि तृणमूल के वोट में ज्यादा परिवर्तन नहीं दिख रहा है. अभी चुनाव हुआ है. आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा. इतना तय है कि मतदाता इधर-उधर हुए हैं. शांति पसंद  जिम्मेदार वोट हमें मिला है भले ही वह पहले किसी भी दल का रहा हो.

सवाल : प्रदेश में अभी भी हिंसा हो रही है अपने वोटरों को कैसे बचाएंगे ?
जवाब : हम केन्द्र से अनुरोध करेंगे कि अगले कुछ दिनों तक वहां केंद्रीय बलों की तैनाती रहे. हमारे कार्यकर्ता मजबूती के साथ खड़े हैं. हम उनकी संख्या बढ़ाएंगे. हमें उम्मीद है कि शांतिप्रिय लोग हमारे दल की विचारधारा से जुड़ेंगे.

सवाल : वहां संघ कितना मजबूत है ?
जवाब : संघ के बारे में बोलने को अधिकृत नहीं हूं. हां, संघ का कार्य वहां अच्छा है.

सवाल : पश्चिम बंगाल में आपने किन मुद्दों पर चुनाव जीता ?
जवाब : आज सारे देश में मोदी के नेतृत्व में विकास हो रहा है. बंगाल उससे वंचित है. बंगाल को आज लगता है कि उसे भी मोदी के साथ विकास की दौड़ में शामिल होना चाहिए. लेकिन दीदी केन्द्र के हमकदम बनकर नहीं चल रही है. वहां तानाशाही है. सिंडीकेट राज है. हिंसा है  दीदी का अप्रजातांत्रिक रवैया है जिसके कारण लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ हुआ है ?

सवाल : क्या बीजेपी वहां हिन्दुत्व के मामले को भी हवा देने में पास रही ?
जवाब : दीदी वहां वोटों के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की पॉलिटिक्स करती हैं. घुसपैठियों को अंदर प्रवेश कराकर उनके मतदाता कार्ड बनाकर उन्हें शासन प्रदत्त सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. जो दो रुपये किलो चावल बंगाल की जनता को मिलने चाहिए वह घुसपैठियों को मिल रहे हैं. दो करोड़ ऐसी आबादी प्रदेश में है. वह पहले माकपा का वोट बैंक था लेकिन अब दीदी का हो गया है. वहां मदरसे बढ़ रहे हैं. मौलवियों को वेतन दिया जा रहा है लेकिन पुजारियों को नहीं. हम इसके विरूद्ध लड़ रहे हैं. इस वजह से भी लोग हमारे साथ खड़े हो रहे हैं.

सवाल : बंगाल को लेकर आगे की तैयारिया क्या हैं ?
जवाब: हम बंगाल को जम्मू और कश्मीर होने से बचाना चाहते हैं. बंगाल की अस्मिता  उसकी संस्कृति को बचाने के लिए काम करेंगे. हम प्रदेश में अगली सरकार बनाएंगे.

सवाल : क्या बंगाल  ओडिशा में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व समाप्त होगा?
जवाब : क्षेत्रीय दलों की जरूरत पर बहस हो सकती है. लेकिन मेरा मानना है कि जब केंद्रीय सत्ता निर्बल होती है तो क्षेत्रीय दल पनपते हैं. क्षेत्रीय दलों के साथ परेशानी यह है कि वह अपने प्रदेश की औरअपनी कुर्सी बचाने की सोचते हैं. देश हित की अनदेखी करते हैं. घुसपैठियों को वोट बैंक बनाकर ममता बनर्जी भी यही कर रही हैं. लेकिन अब केंद्रीय सत्ता निर्बलनहीं है.

सवाल : पांच वर्ष सरकार चलाने के बाद सीटें घट जाती हैं लेकिन आपकी कैसे बढ़ गई ?
जवाब : पिछली बार मोदी जी को लोग जानते थे, पहचानते नहीं थे. जानते इसलिए थे गुजरात के सीएम थे. इन पांच वर्षो में लोग पहचानने लगे. जानने के बाद 14  पहचाने के बाद 19 के चुनाव हुए. यह उनके कार्य का  नाम का असर है.