कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मछली पालन पर लगाया प्रतिबंध, जानिए ये है वजह

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मत्स्य प्रजाति की थाई मांगुर मछली का विनिष्टीकरण करने के आदेश उपनिदेशक मत्स्य को दिए हैं. इसके बाद तालाबों में थाई मांगुर पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जिले के दिनेशपुर विकासखंड में भी एक किसान के तालाब में मिली मांगुर मछलियों को हटवा दिया गया है. एनबीएफजीआर (नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक) के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार थाई मांगुर मछली पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है.

मत्स्य विभाग के वरिष्ठ इंस्पेक्टर रविंद्र ने बताया कि कैट फिश प्रजाति की थाई मांगुर मछली मूल रूप से अफ्रीका में पाई जाती है. किसी तरह थाई मांगुर का बीज (अंडा) हिंदुस्तान में आ गया था. हिंदुस्तान के मत्स्य पालकों को जब मछली के फायदे पता चले तो वह इन्हें पालने लगे. किसान थाई मांगुर को इसलिए पालते हैं क्योंकि यह अन्य मछलियों के मुकाबले तीन-चार महीने के अंदर ही एक किलो की हो जाती हैं. इससे मछली पालक को ज्यादा लाभ होता है.

इस मछली से अन्य मछलियों को बीमारी भी हो जाती है
किसान इन्हें सौ रुपये प्रति किलो तक में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में तेलंगाना, बंगलूरू  यूपी के लोगों ने मछली (थाई मांगुर) को बैन करने के लिए रिट डाली थी. इसके बाद आईसीएआर (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) के तहत एनबीएफजीआर ने थाई मांगुर के टेस्ट रिपोर्ट में पाया कि इससे जल तंत्र  पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह मछली खतरा है. मालूम हो कि तालाबों में इस मछली से अन्य मछलियों को बीमारी भी हो जाती है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने थाई मांगुर की प्रजाति के पालन  प्रजनन को प्रतिबंधित करते हुए विनिष्टीकरण की कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं. डीएम की ओर से मत्स्य विभाग से एक टास्क फोर्स का गठन करने बोला गया है. जिले के तालाबों में अगर थाई मांगुर पाई जाएगी तो उसे नष्ट किया जाएगा. साथ ही थाई मांगुर को पालने वाले किसान को टास्क फोर्स टीम को जुर्माना देना होगा.