कांग्रेस पार्टी के दिग्विजय सिंह देंगे बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा को कड़ी चुनौती ,जानिए पूरी ख़बर

भोपाल इन दिनों भगवा रंग में रंगा हुआ है. यहां कांग्रेस पार्टी के दिग्विजय सिंह को बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है. बीजेपी ने संघ के दबाव में मौजूदा सांसद आलोक संजर का टिकट काट कर साध्वी को उतारा है.

दिग्गी राजा  साध्वी में हिंदू आतंकवाद के मामले पर व्यक्तिगत जंग छिड़ी हुई है. दिग्विजय सिंह के लिए चुनौती इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि 8 बार से यह सीट बीजेपी जीत रही है. भोपाल सीट पर वोटों का ध्रुवीकरण होता दिख रहा है. जिसका प्रभाव चौतरफा कई सीटों पर देखने को मिल सकता है. हालांकि, लोकल युवा राज जैन कहते हैं- धर्म की बजाय रोजगार ज्यादा महत्व रखता है. प्रज्ञा को वोट हिंदुत्व पर नहीं, मोदी के लिए देंगे.

उधर, ग्वालियर-चंबल बेल्ट में इस बार बंपर गेहूं हुआ है. गुना मंडी में किसान नीलम यादव कहते हैं- डेढ़ गुना ज्यादा उपज हुई है. पानी बरसा, कोई रोग भी नहीं लगा. पर अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का रोग लग चुका है. सरकारी खरीद पूरी नहीं होने से 3 हजार रुपए क्विंटल वाला गेहूं 2 हजार रुपए में बेचना पड़ रहा है. गुना सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट है. मोदी लहर में भी ज्योतिरादित्य जीते थे. वे फिर मैदान में हैं. मुकाबले में हैं- बीजेपी के डाॅ केपी यादव, जो सिंधिया के करीबी रहे हैं. यहां यादव बड़ा वोट बैंक है, लेकिन ज्योतिरादित्य मजबूत हैं. क्षेत्र की आठ विधानसभाओं में से 4 कांग्रेस पार्टी  4 बीजेपी के पास है.

राजगढ़ से कांग्रेसी महान दिग्विजय सिंह 2 बार  उनके भाई लक्ष्मण सिंह 5 बार सांसद रहे हैं. इस बार यहां कांग्रेस पार्टी ने किराड़-धाकड़ महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष मोना सुस्तानी को मौका दिया है. बीजेपी ने ओबीसी वोट बैंक के सहारे मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर फिर भरोसा जताया है. दोनों में कड़ी मुक़ाबला है. ग्वालियर के बीजेपी के मौजूदा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर इस बार मुरैना से मैदान में हैं इसलिए यहां से दो बार महापौर रहे विवेक शेजवलकर को टिकट दिया गया है. कांग्रेस पार्टी ने पिछली बार मोदी लहर में बेहद कम मार्जिन से हारे अशोक सिंह पर दांव खेला है. अशोक सिंह की ग्रामीण सीटों पर पकड़ है  उनका प्लस पाॅइंट यह भी है कि यहां आठ में से सात सीटों पर कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं.

चंबल की भिंड सीट में त्रिकोणीय प्रयत्न का लाभ हमेशा बीजेपी को हुआ है. बीजेपी ने यहां टिकट बदल कर संध्या रावत को उतारा है. उनका टिकट बीजेपी के महान नेता नरोत्तम मिश्रा की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है. उधर कांग्रेस पार्टी ने इंजीनियर देवाशीष जारड़िया को मुकाबले में खड़ा किया है. दोनों में बराबर का मुकाबला है. हर बार की तरह बीएसपी इस बार भी कांग्रेस पार्टी का खेल बिगाड़ सकती है.

मुरैना में अनूप मिश्रा मौजूदा सांसद हैं, लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर की वजह से उनका टिकट कट गया. ऐसे में यहां ब्राह्मणों की नाराजगी दिख सकती है. कांग्रेस पार्टी ने पांच बार विधायक रहे मध्यप्रदेश कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत को उतारा है. मुरैना 35 वर्षों से बीजेपी के पास है. इस बार कांग्रेस पार्टी को यहां उम्मीद है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने आठ में से सात सीटें जीती हैं. हालांकि बीएसपी के प्रत्याशी करतारसिंह भडाणा कांग्रेस पार्टी की कठिन बन सकते हैं.

विदिशा बीजेपी का गढ़ है, पिछले सात चुनाव बीजेपी ने ही जीते हैं. यहां से दो बार जीतीं सुषमा स्वराज इस बार नहीं लड़ रही हैं. ऐसे में बीजेपी के रमाकांत भार्गव  कांग्रेस पार्टी के शैलेंद्र पटेल में सीधा मुकाबला है. बीजेपी छह चुनाव से सागर सीट जीत रही है. बीजेपी ने सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का टिकट काटकर यादवों से नाराजगी ले ली है जो चंबल की सीटों तक प्रभाव डालेगी. हालांकि विधानसभा में बीजेपी को यहां एकतरफा जीत मिली थी. यहां उसके 7 विधायक हैं. बीजेपी ने राज बहादुर को प्रत्याशी बनाया है  कांग्रेस पार्टी ने प्रभांशु सिंह ठाकुर को मुकाबले में खड़ा किया है. परंतु यादवों ने पूरी ताकत से कांग्रेस पार्टी का साथ दे दिया तो बीजेपी को कठिन हो जाएगी.

सबसे असरदार मुद्दे

  • मुद्दा: नरेन्द्र मोदी सरकार के एक वर्ष पहले एमएसपी बढ़ाने के दावे की यहां पोल खुलती दिखती है. सवर्ण रिज़र्वेशन भी बड़ा इश्यू है.
  • जाति: ये राजपूत, दांगी, ठाकुर, यादव और ब्राह्मण बाहुल्य सीटे हैं. भोपाल में साढ़े चार लाख मुस्लिम कांग्रेस पार्टी का मजबूत वोट हैं. यहां 2.50 लाख कायस्थ भी मजबूती से उभर रहे हैं जो बीजेपी के साथ दिख रहे हैं.