कमजोर लिवर से हो सकती है ये बड़ी समस्या, जानिए ऐसे

कमजोर लिवर अंधेपन का भी कारण बन सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक लिवर की कमजोरी पेट और आंखों को ही नहीं बल्कि किडनी और दिमाग के रोगों  डायबिटीज समेत कई समस्याओं को जन्म देती है. जानें लिवर में होने वाली दिक्कतें हमारे शरीर के किन अंगों को  कैसे प्रभावित करती हैं.

ये अंग होते हैं प्रभावित –
1. आंख: आंखों में कमजोरी या अंधेपन के कई मामलों में विल्संस डिजीज जिम्मेदार है. यह बीमारी आनुवांशिक होती है. जिसका कारक प्रोटीन है. इसके अतिरिक्त शरीर में बहुत ज्यादा कम मात्रा में कॉपर तत्त्व की आवश्यकता होती है. जिसकी मात्रा अधिक होने पर यह आंख, लिवर और मस्तिष्क में इकट्ठा होने लगता है जिसे शरीर बाहर नहीं निकाल पाता.इससे आंखों में लाइट का घटना, लिवर की कमजोरी  मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कतें सामने आती हैं. समय पर डॉक्टरी सलाह न लेने पर अंधेपन  लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत आ सकती है.

2. किडनी : हिपैटो रीनल सिंड्रोम लिवर की क्रॉनिक डिजीज में से एक है. इसके लिए सिरोसिस डिजीज जिम्मेदार होती है. सिरोसिस में लिवर निर्बल हो जाता है. इसका सीधा प्रभावकिडनी पर होता है  शरीर में विषैले पदार्थों की मात्रा बढ़ने लगती है. लंबे समय तक अनदेखी करने पर किडनी फेल भी हो सकती है.

3. मस्तिष्क : लिवर फेल होने पर शरीर में उपस्थित विषैले पदार्थ मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं. इनमें अमोनिया प्रमुख है. बॉडी से बाहर न निकल पाने के कारण यह ब्लड के साथ शरीर में प्रवाहित होता है  मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है. इसे हिपैटिक एनसेफैलोपैथी कहते हैं. इसमें मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के लक्षण जैसे बेहोशी  मरीज के कोमा में जाने की संभावना रहती है.

ये हैं कारण – 
लिवर को निर्बल करने में अल्कोहल का अहम भूमिका होता है. बचपन से शरीर में पोषण की कमी लिवर को निर्बल करती है.
हेपेटाइटिस-बी- इसमें लिवर में सूजन आ जाती है और यह हेपेटाइटिस-बी वायरस के कारण होता है.
सिरोसिस -इसमें लिवर ऊत्तक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे पोषण  हार्मोन प्रभावित होते हैं.
इसके अतिरिक्त स्टूल पास करने में अनियमितता, लिवर में कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड का इकट्ठा हो जाना, लिवर में खून का प्रवाह बाधित होना  डाइट में अधिक मात्रा में विटामिन-ए लेना प्रमुख कारण हैं.

इतना कार्य करता है –
लिवर शरीर की कई गतिविधियों में अहम भूमिका अदा करता है. यह शुगर, वसा  कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन, स्टोरेज और उत्सर्जन को नियमित और नियंत्रित करके पाचन मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण किरदार निभाता है. लिवर एंजाइम, हार्मोन्स, रक्त प्रोटीन, क्लॉटिंग पैदा करने वाले कारक  प्रतिरक्षा कारकों सहित विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण प्रोटीन पैदा करता है. यह विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का भी कार्य करता है.

ट्रांसप्लांट : दो तरह के डोनर – 
लिवर ट्रांसप्लांट सर्जिकल प्रक्रिया है. अधिकांशत: स्वस्थ लिवर मृत आदमी से प्राप्त किया जाता है, लेकिन कई बार जीवित आदमी भी लिवर दान करते हैं. कई मामलों में पूरा लिवर न बदलकर कुछ भाग ही बदला जाता है. ट्रांसप्लांट उन मरीजों में किया जाता है, जिनका लिवर फेल हो चुका होता है.

यूं पहचानें कमजोरी –
आंखों के नीचे काले घेरे, यूरिन का गहरा रंग, आंखों और स्कीन में पीलापन, पेट में सूजन, पाचनतंत्र की खराबी, उल्टी, खाने का स्वाद न मिलने जैसे लक्षण लिवर का निर्बल होना बताते हैं.

ऐसे स्वस्थ रहेगा –
स्वस्थ लिवर के लिए अपने खानपान का खास ध्यान रखें. डाइट में ताजे फल  सब्जियां शामिल करें. वसायुक्त पदार्थ पाचन को धीमा करते हैं इसलिए ऐेसे पदार्थों से दूरी बनाएं.दिनभर में कम से कम १० गिलास पानी पीएं.

जांच : बायोप्सी बताती है कितना हुआ नुकसान –
लिवर जाँच में बिलीरुबिन (सामान्य स्तर 0-1.3 मिलीग्राम), एल्बुमिन (सामान्य स्तर 3.2 – 5 ग्राम)  प्रोथ्रोम्बिन टाइम (रक्त के थक्के का पता लगाने का एक तरीका) शामिल हैं.लिवर में हुई क्षति की सीमा निर्धारित करने का सबसे बेहतर तरीका लिवर बायोप्सी है. यदि हेपेटाइटिस-बी, सी या एचआईवी के मरीज हैं तो ब्लड काउंट की नियमित जाँच कराएं.