ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा वस्तुओं के दाम बढ़ा-चढ़ा कर उन पर भारी छूट देने की कवायद पर गवर्नमेंट जल्द लगाम लगाने की तैयारी में है. अगर औनलाइन कंपनियां अधिकतम खुदरा मूल्य से छेड़छाड़ करेंगी तो इसे व्यावसायिक धोखाधड़ी माना जाएगा, जिसके तहत उन पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
उपभोक्ता मंत्रालय ने ई-कॉमर्स पर दिशा-निर्देश तैयार कर औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) को भेज दिए है, जो ई-कॉमर्स पर दिशा-निर्देशों को लागू करने पर अंतिम विचार विमर्श कर रहा है. डीआईपीपी उपभोक्ता शिकायत के निपटारे की निर्धारित अवधि (दो से तीन माह) के आदेश भी इसमें शामिल कर सकता है.
मंत्रालय ने डीआईपीपी को हाल ही में ई-कॉमर्स से जुड़े दिशा-निर्देश भेजे हैं. इसमें उत्पाद पहुंचाने, उत्पाद वापसी, पैसा वापसी व परिवर्तन को पारदर्शी बनाने संबंधी नियम शामिल हैं.इन निर्देशों को तैयार करने में मंत्रालय ने एरिया के विशेषज्ञों के सुझावों को भी शामिल किया हैं.
एमआरपी से छेड़छाड़ पर होगी कार्रवाई
ई-कॉमर्स से जुड़े दिशा-निर्देशों को पहले मंत्रालय की ओर से जारी किया जाना था, लेकिन डीआईपीपी को ई-कॉमर्स के लिए नोडल प्राधिकार बनाए जाने के बाद मंत्रालय ने दिशा-निर्देशों का जिम्मा उसे सौंप दिया है. दिशा-निर्देशों में ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी, धोखाधड़ी व ठगी से ग्राहकों को बचाने के तरीका शामिल है.
साथ ही इसके तहत अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) स्पष्ट करना जरूरी किया गया है व एमआरपी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने व फिर उसमें छूट दिखाने का चलन अब नहीं चलेगा. ऐसा करने को व्यावसायिक धोखाधड़ी माना जाएगा.
उपभोक्ताओं को दिशा-निर्देश दिखाना अनिवार्य
डीआईपीपी के एक
ऑफिसर के मुताबिक मंत्रालय द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों पर विभाग गौर कर रहा है, जिसमें
व एक-दो पहलुओं को जोड़ा जा सकता है
. इसके साथ ही उपभोक्ता से जुड़े निर्देशों को अधिकतम एक पेज का रखे जाने पर सहमति बनी है
.
इन्हें ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल में प्रदर्शित करने के लिए भी बोला जा सकता है या फिर बिल तैयार होने के दौरान उपभोक्ताओं को दर्शाने को बोला जा सकता है. साथ ही बिल का एक फार्मेट सभी कंपनियों के लिए निर्धारित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त नकद खरीद पर पावती मुहैया कराने भी शामिल होगा.
42 प्रतिशत बढ़ी शिकायतें
ऑफिसर ने बताया कि दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में आर्थिक दंड का प्रावधान होगा. इसके अतिरिक्त उपभोक्ता शिकायत समाधान के लिए स्पष्ट व्यवस्था भी जारी करनी होगी. इन कदमों के जरिए उपभोक्ता हितधारी स्थिति कायम की जा सकेगी. कंपनियों को छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी शिकायत को 30 दिन से 45 दिन के भीतर कारण स्पष्ट करते हुए निपटाना होगा.
बताते चलें कि 2017-18 में ई-कॉमर्स कंपनियों के विरूद्ध शिकायतों में 42 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा साल के अंत तक राष्ट्र में औनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्या 12 करोड़ हो जाएगी.
जबकि पिछले वित्त साल तक औनलाइन मार्केट में 10.8 करोड़ उपभोक्ता थे. अनुमान है कि साल 2020-21 तक ई-कॉमर्स कारोबार 2.5 लाख करोड़ से 2.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.