CO2 का कम स्तर भी दम घोंटू साबित होने कि सम्भावना है
एक रिपोर्ट के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स में बोला गया कि इंसान उसी वातावरण में रह सकता है जहां ज्यादा ऑक्सिजन हो, ताकि हम सरलता से सांस ले सकें. कार्बन डाईऑक्साइड (जिसे हम श्वास के जरिए शरीर से बाहर निकालते हैं) शरीर के लिए घातक साबित होती है. कमरे में कार्बन डाईऑक्साइड का बेहद कम स्तर भी दम घोंटू साबित होने कि सम्भावना है.यह ब्रेन को मिलने वाली ऑक्सिजन को भी बाधित कर सकता है.
बुद्धिमानी पर असर
इस रिपोर्ट के मुताबिक शरीर के अंदरूनी अंगों में ऑक्सिजन का कम पहुंचना आदमी की बुद्धिमानी पर प्रभाव डालता है. इन्वायरनरमेंटल प्रॉटेक्शन एजेंसी (ईपीए) के मुताबिक बंद कमरे में भी प्रदूषण का स्तर 2 से 5 गुना तक बढ़ सकता है. ये प्रदूषक दिल व फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं. साथ ही इससे समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है
एक रिपोर्ट के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स में बोला गया कि इंसान उसी वातावरण में रह सकता है जहां ज्यादा ऑक्सिजन हो, ताकि हम सरलता से सांस ले सकें. कार्बन डाईऑक्साइड (जिसे हम श्वास के जरिए शरीर से बाहर निकालते हैं) शरीर के लिए घातक साबित होती है. कमरे में कार्बन डाईऑक्साइड का बेहद कम स्तर भी दम घोंटू साबित होने कि सम्भावना है.यह ब्रेन को मिलने वाली ऑक्सिजन को भी बाधित कर सकता है.
बुद्धिमानी पर असर
इस रिपोर्ट के मुताबिक शरीर के अंदरूनी अंगों में ऑक्सिजन का कम पहुंचना आदमी की बुद्धिमानी पर प्रभाव डालता है. इन्वायरनरमेंटल प्रॉटेक्शन एजेंसी (ईपीए) के मुताबिक बंद कमरे में भी प्रदूषण का स्तर 2 से 5 गुना तक बढ़ सकता है. ये प्रदूषक दिल व फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं. साथ ही इससे समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है