एमजे अकबर ने यौन शोषण के आरोप लगने के बाद नहीं दिया इस्तीफा

केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने यौन शोषण के आरोप लगने के बाद इस्तीफा नहीं दिया था जिसको लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी पर हमला बोला था। वहीं, बीजेपी में इस मुद्दे पर एक राय नहीं दिखाई दे रही है। जबकि राष्टीय स्वयंसेवक संघ भी अकबर के मामले पर बंटा हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन उनमें से अधिकांश नेताओं की राय है कि केंद्रीय मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। बता दें कि एमजे अकबर ने आरोप लगाने वाली एक महिला पत्रकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कराया है।

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सूत्रों का कहना है कि इस बात पर चर्चा हुई कि ऐसे कई मामले रहे हैं जहां राजनीतिक दल के नेता नैतिक आधार पर महत्वपूर्ण पद छोड़ देते हैं। आरएसएस का मानना ​​है कि तो क्या हुआ यदि उस वक्त अकबर मंत्री नहीं बल्कि संपादक थे, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया जब उनका नाम हवाला मामले में आया था, बाद में उनके खिलाफ कुछ नहीं पाया गया था। ऐसे कई अन्य मामले भी सामने आए हैं।

केवल इतना ही नहीं कि इस मामले पर आरएसएस में मदभेद दिखाई दे रहा है बल्कि अकबर के मामले को लेकर संगठन के कुछ नेताओं में नाराजगी भी है। हालांकि वे अभी चुप हैं लेकिन वे अकबर द्वारा दी जा रही दलीलों को मानने से इनकार कर रहे हैं। मी टू मामले पर आरएसएस के संयुक्त महासचिव (सह-सरकार्यवाह) दत्तात्रेय होसाबले ने पहले ही अपनी राय दे दी थी, जिन्होंने एक महिला का पोस्ट साझा किया था, ‘आपको MeToo मूमेंट में महिला पत्रकारों का समर्थन करने की जरूरत नहीं है जो आपबीती बता रही हैं। जरूरी नहीं कि इसमें पीड़िता ही शामिल हो। आपको बस ये पता होना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत है?’

एक अन्य आरएसएस नेता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि वे लोग 15 सालों तक चुप रहने के बाद अब क्यों शिकायत कर रहे हैं। हालांकि बड़ा मुद्दा ये है कि नैतिकता के आधार पर मंत्री को अपना पद छोड़ना चाहिए। बीजेपी इस मामले को राजनीतिक नफे-नुकसान के तराजू पर रखकर तौल रही है क्योंकि ये मुद्दा महानगरों से बाहर जाता नहीं दिखाई दे रहा है तो वहीं, आरएसएस के लिए यह कुछ और ही है।