इजरायल जैसी तकनीक का प्रयोग करेगा हिंदुस्तान

हवाई अड्डों पर आजकल अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) या जिसे आमतौर पर ड्रोन बोला जाता है, अक्सर दिखाई दे जाते हैं. यह ड्रोन पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हैं. इस कठिनाई से निपटने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जल्द ही इंटेग्रेटिड काउंटर ड्रोन मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग करेगा.
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यह सिस्टम बिना विमान संचालन में खलल डाले इन ड्रोन्स को बहुत ज्यादा किलोमीटर के दायरे तक प्रभावहीन कर सकते हैं. वर्तमान में इस सिस्टम का प्रयोग फ्रांस, इजरायल, ब्रिटेन  अमेरिका में किया जाता है. इन्हें एंटी-यूएवी डिफेंस सिस्टम भी बोला जाता है. यह काउंटर ड्रोन ना केवल माइक्रो, मिनी  लार्ज ड्रोन्स को ट्रैक या उनका पता लगा सकते हैं बल्कि उन्हें अशक्त करने के साथ ही नीचे भी गिरा सकते हैं.

इस आटोमेटिड सिस्टम में लंबी रेंज का रडार सर्विलेंस, डेलाइट कैमरा, इंफ्रारेड, टारगेट ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर, रेडियो फ्रिक्वेंसी जैमर सिस्टम  दूसरे परिष्कृत नियंत्रण लगे हैं जो बहुत ज्यादा किलोमीटर दूरी वाले ड्रोन को नीचे गिरा सकता है, उसकी कमांड को निष्प्रभाव कर सकता है  उसे जाम तक कर सकता है. यह सारे कार्य बिना हवाई यातायात में खलल डाले करने में सक्षम है.

सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन ने कहा, ‘यह तकनीक इस बात का पता लगा सकती है कि एयरस्पेस में जो वस्तु नजर आ रही है वह कोई चिड़ियां है या ड्रोन. यह एक निश्चित दूरी से भी ड्रोन बनाने वाली कंपनी का पता लगा सकती है  बिना मानवीय हस्तक्षेप के उसे नीचे गिरा सकती है.‘ सीआईएसएफ राष्ट्र की अग्रणी विमानन सुरक्षा बल है. उसके अतंर्गत 60 हवाई अड्डे आते हैं.

सीआईएसएफ को इस तकनीक के बारे में विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय उड्डयन सुरक्षा सेमिनार में पता चला. जहां 18 राष्ट्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया. उसने इस तकनीक में दिलचस्पी दिखाई है. टेस्ट में पास होने के बाद खरीदा जाएगा. रंजन ने बोला कि इस सिस्टम से सुरक्षा जांच में सीआईएसएफ जवानों को लगने वाले समय की बचत होगी.