आयुर्वेद में है साइनस का अचूक इलाज़

हमारी नाक के आसपास कुछ छिद्र होते हैं, जिन्हें साइनस कहा जाता है। इनमें होने वाले संक्रमण को साइनोसाइटिस या साइनस कहा जाता है। जब साइनस का संक्रमण होता है तो इसके लक्षण आंखों और माथे पर महसूस होते हैं। आगे झुकने और लेटने से सिरदर्द की समस्‍या बढ़ जाती है।

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सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, अधकपारी, नाक से पानी गिरना आदि, इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है। साइनस एक संक्रमण है और इससे बचने के लिए अरोमाथेरेपी एक बेहतर विकल्‍प है। लेकिन अरोमाथेरेपी में किन तेलों का इस्तेमाल करना चाहिए इसके बारे में हम आज आपको बताएंगे।

बड़े काम के हैं ये तेल

यूकेलिप्टस का तेल एक प्रकार का हर्ब है जिसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व पाए जाते हैं। इस तेल को गर्म पानी में डाल कर स्टीम लें। आधा कप पानी में कुछ बूंदे यूकेलिप्‍टस तेल की डालें। इस पानी को ढककर उबालें। फिर इस पानी से स्टीम लें। यह साइनस के कारण होने वाले सिरदर्द से तुरंत राहत देने वाला नुस्खा है।

अणु तेल साइनसाइटिस के उपचार के लिए एक आयुर्वेद औषधी है। यह तेल संकुचन को कम करने के लिए जाना जाता है। नाक बंद हो जाने पर यह तेल काफी असरदार होता है। हालांकि शुरू में कुछ समय आप लगातार छींकेंगे और नाक भी बहेगी, पर कुछ दिन बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। अणु तेल एक-एक बूंद सुबह नहाने के बाद नाक में डालकर अंदर खींचने से नाक में कफ खत्म हो जाता है, नाक साफ हो जाती है।

लौंग का तेल एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण यह साइनस संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है। इसलिए साइनस से संक्रमण से परेशान लोगों को लौंग के तेल का इस्‍तेमाल करना चाहिए।

एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर टी-ट्री ऑयल

ज्‍यादातर आवश्‍यक तेलों में कुछ एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं लेकिन टी-ट्री ऑयल विशेष रूप से शक्तिशाली होता है। टी-ट्री ऑयल में संक्रमण को रोकने की क्षमता के कारण यह इसे संक्रमण को रोकने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प बनाती है। टी-ट्री ऑयल के एंटीसेप्टिक गुणों को बढ़ाने के लिए इसका इस्‍तेमाल स्‍टीम के रूप में करना चाहिए। साइनस की अटैक होने पर पानी में इसकी कुछ बूंदों को डालकर स्‍टीम लेने से फायदा होता है।

लैवेंडर में मौजूद एंटीहिस्टामिन, एंटी इंफ्लेमेंटरी और बहुत ही काल्मिंग गुण जलन को कम करने और श्‍वास को आराम देने में मदद करते हैं। लैवेंडर ऑयल में एक ऐसी शांत खुशबू (अरोमा) होती है जोकि इसे एक उत्कृष्ट तंत्रिका टॉनिक बनाता है। इसे इस्‍तेमाल करने के लिए लैवेंडर तेल को उबलते पानी में मिलाकर इससे भाप लें। ऐसा करने से साइनस का संक्रमण खत्म होगा और नाक की रुकावट से राहत मिल जाएगी।