आधार कार्ड की अनिवार्यता के बाद अब अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत को दी ये सलाह

आधार कार्ड की अनिवार्यता पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमेरिकी विशेषज्ञों ने संतुलित बताया है। साथ ही इन विशेषज्ञों ने जोर देते हुए कहा कि भारत को अब बिना देर किए डेटा शेयरिंग और निजता कानून को लागू करना चाहिए।

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सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही हाथों तक पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने आधार योजना को लांच किया था। इसके बाद 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार को आधार का दायरा बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है।

वाशिंगटन स्थित गैर लाभकारी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट’ से जुड़े अनीत मुखर्जी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला आधार पर लंबी और सार्थक बहस का नतीजा है और यही एक लोकतांत्रिक समाज का सबसे अच्छा तरीका होना चाहिए।’ डिजिटल आईडी के विशेषज्ञ मुखर्जी ने कहा, ‘डेटा प्रोटेक्शन और निजता कानून को लागू करने की दिशा में भारत को अभी और काम करने की जरूरत है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने अपने फैसले के दौरान माना था कि सबसे अच्छा होने से बेहतर है अद्वितीय होना, लेकिन आधार दोनों की ही इच्छा रखा सकता है।’

मुखर्जी के अलावा सेंटर एलन गेल्ब और काइल नेविस से जुड़े दो विशेषज्ञों ने भी आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह निजता पर कोर्ट के पिछले फैसले समानता और सिद्धांत पर आधारित है। इन विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अब भारत को डेटा शेयरिंग समेत निजता कानून को लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए।