अस्थाना के अलावा इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आ गई है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप में केस दर्ज किया है. आरोप है कि अस्थाना ने मांस कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़े एक मामले में जिस एक आरोपी के विरुद्ध वह जांच कर रहे थे, उससे उन्होंने रिश्वत ली थी. दो महीने पहले अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ यही शिकायत की थी.

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सीबीआई ने सतीश साना की शिकायत के आधार पर स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया है. मांस कारोबारी मोईन कुरेशी की कथित संलिप्तता से जुड़े 2017 के एक मामले में जांच का सामना कर रहे साना ने आरोप लगाया कि अस्थाना ने उसे क्लीनचिट दिलाने में कथित रूप से मदद की. सीबीआई ने बिचौलिया समझे जाने वाले मनोज प्रसाद को भी 16 अक्टूबर को दुबई से लौटने पर गिरफ्तार किया था. हालांकि जांच एजेंसी ने इस पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है.

गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना उस विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई कर रहे हैं जो अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले और उद्योगपति विजय माल्या द्वारा की गई लोन धोखाधड़ी जैसे अहम मामलों को देख रही है. यह टीम मोईन कुरैशी मामले की भी जांच कर रही है.

अस्थाना ने CBI डायरेक्टर वर्मा पर लगाए थे आरोप

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे. इसी पत्र में ये भी आरोप लगाया गया था कि साना ने इस मामले में क्लीनचिट पाने के लिए सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपये दिये थे.

सूत्रों के मुताबिक, यह शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास भेजी गयी जो इस मामले की जांच कर रहा है. अस्थाना ने प्राथमिकी दर्ज होने के चार दिन बाद केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को फिर लिखा कि वह साना को गिरफ्तार और पूछताछ करना चाहते हैं और इस संबंध में 20 सितंबर,2018 को निदेशक को एक प्रस्ताव भेजा गया था. अपने पत्र में उन्होंने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को लिखी अपनी चिट्ठी का भी हवाला दिया, जिसमें निदेशक के खिलाफ कथित अनियमितताओं का ब्योरा दिया गया है.

स्पेशल डायरेक्टर ने डायरेक्टर पर लगाए थे आरोप ?

सूत्रों के मुताबिक, राकेश अस्थाना ने कहा कि डायरेक्टर ने करीब चार दिनों तक फाइल कथित रूप से रखी और 24 सितंबर, 2018 को उसे प्रॉसिक्यूशन डायरेक्टर (डीओपी) के पास भेजने का निर्देश दिया. प्रॉसिक्यूशन डायरेक्टर ने रिकार्ड में मौजूद सभी सबूत मांगे. सूत्रों के अनुसार अस्थाना की अगुवाई वाली टीम ने ही साना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर खोला, जिसने देश से भागने की कोशिश की लेकिन सक्रिय कार्रवाई की वजह से वह नहीं भाग सका.

सूत्रों के मुताबिक अस्थाना ने कहा है यह फाइल डीओपी द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर के साथ फिर तीन अक्टूबर को सीबीआई डायरेक्टर के समक्ष फिर रखी गयी लेकिन अबतक यह नहीं लौटी है. सूत्रों ने अस्थाना की बातों का हवाला देते हुए कहा कि साना से एक अक्टूबर, 2018 को पूछताछ की गयी थी , पूछताछ के दौरान साना ने बताया कि वह एक नेता से मिला, जिसने वर्मा से मुलाकात करने के बाद उसे आश्वासन दिया कि इस मामले में उसे क्लीनचिट दे दी जाएगी.

अस्थाना के अलावा इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

अस्थाना के अलावा एजेंसी ने पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार और मनोज प्रसाद, कथित बिचौलिये सोमेश प्रसाद और अन्य अज्ञात अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया है. उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात, 13(2) और 13 (1) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात-ए भी लगाई गई है. सीबीआई ने सूचित किया कि इन धाराओं में किसी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेने के जरूरत नहीं होती.

अस्थाना के खिलाफ कॉल रिकॉर्ड के आधार पर केस

CBI का दावा है कि स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ कथित रिश्वत मामले में बिचौलिए मनोज प्रसाद के पकड़े जाने के बाद उसने 9 फोन कॉल की बारीकी से छानबीन की है.

उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी ने व्यापारी सतीश साना के दावे पर अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया है. साना का दावा है उसे लगातार आने वाले समन से राहत और मामले से क्लीन चिट मिलने के लिए दुबई के इंवेस्टमेंट बैंकर मनोज प्रसाद ने पांच करोड़ रूपए की मांग की थी. जबकि अस्थाना ने दो माह पहले कैबिनेट सचिव को सूचित किया था कि साना ने मामले में राहत पाने के लिए सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को दो करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी.

एक अधिकारी ने दावा किया कि सीबीआई ने जो कॉल डेटा की तफ्तीश की है उसके मुताबिक अस्थाना और अन्य एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के बीच कथित तौर पर फोन पर बातचीत हुई थी जो जानकारियों की पुष्टि करना चाहते थे, बिचौलिए और वरिष्ठ अधिकारी, बिचौलिए की पत्नी, वरिष्ठ अधकारी और अन्य के संबंध में जानना चाहते थे.

सूत्रों का दावा है कि कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चलता है कि अस्थाना और वरिष्ठ अधकारी के बीच 17अक्टूबर 2018 को चार बार फोन कॉल हुईं थीं.