पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी तेजी से बढ़ने के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को चेतावनी दी कि यदि वह कोई हिमाकत करता है तो उसे इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में अपने ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम देखेंगे कि ईरान के साथ क्या होता है। यदि वे कुछ करते हैं, तो यह उनकी भारी भूल होगी। ’’ उन्होंने ईरान के विरूद्ध अमेरिकी सैन्य निर्माण के विषय में पूछे गए सवालों के जवाब में यह बात कही।
ट्रम्प ने कहा, ‘‘मैं ईरान के बारे में कहानियां सुन रहा हूं। यदि वे कुछ करते हैं, तो उन्हें बहुत नुकसान होगा। हम देखेंगे कि ईरान के साथ क्या होता है। ’’ अमेरिका के विदेश मंत्री सोमवार को मॉस्को की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द करके ब्रसेल्स गए थे। वह ईरान के विषय में ताजा गतिविधियों के बारे में नाटो सहयोगियों को जानकारी देने के लिए ब्रसेल्स गए।
रूहानी ने ईरान पर अभूतपूर्व अमेरिकी दवाब की निंदा की
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने तेहरान पर अभूतपूर्व अमेरिकी दवाब की आलोचना की व देश के राजनीतिक तबके से एकजुट होकर इस हालात से निपटने का आग्रह किया। उनके अनुसार, यह स्थिति 1980 के दशक से भी ज्यादा कठिन है।
रूहानी का यह बयान शनिवार को ऐसे समय में आया है जब वाशिंगटन के साथ देश का तनाव बढ़ रहा है। वाशिंगटन ने पिछले हफ्ते खाड़ी में युद्धपोत व युद्धक विमान तैनात कर दिए थे। उन्होंने बोला कि अमेरिका द्वारा नए सिरे से लगाए गए प्रतिबंधों से देश की आर्थिक स्थिति 1980-88 में पड़ोसी देश इराक से युद्ध के दौरान हुई स्थिति से बदतर हो गई है।
सरकारी खबर एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, रूहानी ने कहा, “आज यह तो नहीं बोला जा सकता कि वर्तमान स्थिति 1980-88 के समय से बेहतर है या बदतर है, लेकिन तब युद्ध के समय हमें अपने बैंकों, ऑयल की बिक्री या आयात व निर्यात में कोई समस्या नहीं थी व तब सिर्फ हथियार खरीद पर प्रतिबंध लगा था। ”
रूहानी ने प्रतिबंधों का सामना करने के लिए राजनीतिक रूप से एक होने का आवाह्न किया। उन्होंने कहा, “वर्तमान में दुश्मनों का दवाब हमारी क्रांति के इतिहास में अभूतपूर्व है। ।लेकिन मैं निराश नहीं हूं व मुझे भविष्य की उम्मीद है व मैं मानता हूं कि हम एक होकर इस मुश्किल हालात से आगे निकल जाएंगे। ” अमेरिका-ईरान के तनाव ने 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं, जिस पर तेहरान ने संयुक्त देश सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों व जर्मनी के साथ हस्ताक्षर किए थे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में खुद इस समझौते को तोड़कर ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे। ईरान ने इशारा दिए हैं कि अगर अन्य मेम्बर देश भी अमेरिकी प्रतिबंधों का समर्थन करते हैं तो वह अपनी परमाणु हथियार संबंधी गतिविधियां फिर से प्रारम्भ कर देगा। यूरोपीय शक्तियों का बोलना है कि वे समझौते पर कायम हैं, लेकिन वे इस समझौते को समाप्त करने से रोकने के तेहरान की किसी चेतावनी को अस्वीकार करते हैं।