आने से हुई मौत मामले की संसार भर में चर्चा हो रही है। हादसे के दो दिन बाद भी इस मामले में किसी को आरोपी नहीं बनाया गया है। संसार भर से लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इस हादसे का गुनाहगार कौन है। इन सबके बीच दशहरा समारोह की मुख्य आयोजक नगर निगम पार्षद विजय मदान व सौरभ मदान मिट्ठू अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भूमिगत हो गये है।
पुलिस के अनुसार शनिवार को उनके आवास पर हमला कर दिया,खिड़कियों के शीशे तोड़ दिये व पथराव किया। इसके बाद मदान परिवार के सदस्य किसी अज्ञात जगह पर चले गये वउन्होंने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिये। हालांकि उनके आवास पर पुलिसवालों को तैनात किया गया है। विजय मदान अमृतसर पूर्व विधानसभा एरिया के तहत वार्ड संख्या 29 से मौजूदा पार्षद है। मदान परिवार के सदस्य उस दशहरा प्रोग्राम के मुख्य आयोजक थे जहां ट्रेन एक्सीडेंट हुआ था।
पुलिस ने प्रोग्राम के लिये एनओसी दी थी, निगम से नहीं ली गई थी कोई मंजूरी : अधिकारी
हादसे को लेकर आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच दिया था लेकिन बोला कि प्रोग्राम के लिये नगर निगम की भी मंजूरी की आवश्यकता थी। इस बीच सामने आए एक खत से इशारा मिले हैं कि आयोजकों – लोकल कांग्रेस पार्टी पार्षद के परिवार – ने प्रोग्राम स्थल पर सुरक्षा बंदोवस्त की भी मांग की थी जहां पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धु व उनकी पूर्व विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के आने की उम्मीद थी।
एक वीडियो के सामने आने के बाद नवजोत कौर सिद्धू पर आरोपों को हवा मिली है जो प्रोग्राम में मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल थीं व कथित तौर पर मंच पर किसी ने उन्हें बताया कि लोग रेल की पटरियों पर भी खड़े हैं। अकाली दल, बीजेपी व आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने प्रोग्राम की इजाजत देने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की। अकाली दल ने पंजाब की कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट से सिद्धु को बर्खास्त किये जाने की मांग की।
रेलवे ने कहा, हमसे नहीं मांगी गई इजाजत
उधर रेलवे अधिकारियों ने बोला कि उनसे प्रोग्राम के लिये कोई मंजूरी नहीं मांगी गई थी। रेलवे ने मामले में किसी तरह की जांच से मना किया व बोला कि यह कोई रेल एक्सीडेंट नहीं बल्कि रेल पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश का एक मामला है।
गर्वनमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने ‘अज्ञात लोगों’ के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया है वहीं CM अमरिंदर सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं जो चार सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट देंगे। सिंह ने दुर्घटनास्थल जोड़ा फाटक व अस्पतालों का दौरा किया व बताया कि हादसे में 59 लोगों की जान गई है जबकि 57 घायल हैं। उप जिलाधिकारी राजेश शर्मा ने हालांकि मृतकों का आंकड़ा 61 बताया। अमृतसर के पुलिस उपायुक्त अमरीक सिंह पवार ने बोला कि आयोजकों को इस शर्त पर अनापत्ति प्रमाण लेटर दिया गया था कि वे नगर निगम व प्रदूषण विभाग से भी मंजूरी लेंगे। अमृतसर नगर निगम ने इस हादसे से खुद को अलग बताया।
निगम आयुक्त ने कहा, हमने नहीं दी इजाजत
अमृतसर नगर निगम आयुक्त सोनाली गिरी ने यहां बताया, ‘दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति किसी को नहीं दी गई थी। इससे भी ज्यादा यह है कि किसी ने अनुमति के लिए अमृतसर नगर निगम में आवेदन भी नहीं किया था। ’ मध्यरात्रि घटनास्थल का दौरा करने वाले रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने बोला कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा प्रोग्राम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था। उन्होंने बोला कि यह एक्सीडेंट दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर।
सुबह तक पटरियों को साफ कर दिया गया था व शवों के अवशेषों को हटा दिया गया था। कुछ लोगों ने रेलवे की पटरियों के पास प्रदर्शन किया व जब पुलिस ने उनको बैरीकेड के पास से हटाने का कोशिश किया तो इस दौरान वहां माहौल थोड़ा तनावपूर्ण भी हो गया। कुछ लोगों ने कांग्रेस पार्टी पार्षद विजय मदान के बेटे के घर पर पथराव भी किया। मदान का परिवार ही प्रोग्राम का आयोजक था। घटना के बाद से दोनों को नहीं देखा गया है। अस्पतालों के बाहर अपने रिश्तेदारों को खोने वाले लोगों की चीखों से वहां मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ रहा था।