केंद्र गवर्नमेंट व राज्य गवर्नमेंट के कर्मचारियों को अक्टूबर 2018 में 7वें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक पे बढ़ाने की मांग से भी बड़ा तोहफा मिलने की उम्मीद है। केंद्र गवर्नमेंट ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग के बीच मौजूदा पेंशन सुधार से संबंधित ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे अक्टूबर अंत में होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में मंजूरी मिल सकती है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय संप्रेक्षक राकुश कुमार वर्मा के मुताबिक भारतीय पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी। मिश्रा की अगुवाई में कर्मचारी नेता बीते दिनों कैबिनेट सेक्रेटरी पीके सिन्हा से मिले थे। कैबिनेट सेक्रेटरी ने उन्हें आश्वासन दिया कि गवर्नमेंट पेंशन सुधार को लेकर गंभीर है व इस पर जल्द कार्रवाई करने का विचार कर रही है। पेंशन सुधार ड्राफ्ट में पेंशन फंड से नकदी निकासी और अन्य संबंधित नियम तय किए गए हैं।
केरल, बंगाल में है पेंशन व्यवस्था
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री आरके निगम ने बताया कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से करीब 16 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा। इसमें 7 लाख कर्मचारी नए होंगे।उन्होंने बताया कि अभी त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, केरल ऐसे राज्य हैं जहां पेंशन योजना लागू है। लेकिन कई राज्यों ने इसे खत्म कर दिया है। यहां तक कि नयी पेंशन योजना के तहत कई कर्मचारियों के खाते ही नहीं खुले हैं। इस योजना के लिए आया फंड बैंकों में ऐसे ही पड़ा है। यूपी में भी यह व्यवस्था नहीं है लेकिन हम राज्य गवर्नमेंट पर इसे लागू करने के लिए दबाव बना रहे हैं। केंद्र अगर कोई पेंशन नीति लाता है तो राज्य गवर्नमेंट को इसे लागू करना होगा।
क्या है पुरानी पेंशन योजना की मांग
प्रांतीय संप्रेक्षक राकेश कुमार वर्मा के मुताबिक पुरानी पेंशन व्यवस्था अप्रैल 2004 में खत्म कर दी गई थी। इसके तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को गवर्नमेंट पेंशन देती थी। राज्य गवर्नमेंट ने बाद में राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू कर दी लेकिन कर्मचारी इससे खुश नहीं हैं। वे पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश व्यापी आंदोलन करेंगे कर्मचारी
वर्मा के मुताबिक पुरानी पेंशन की मांग को लेकर 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में सरकारी कर्मचारी व शिक्षकों ने प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन संयुक्त प्रयत्नसंचालन समिति के बैनर तले हुआ था। इसके बाद 2 अक्टूबर को कर्मचारियों ने कैंडिल मार्च भी निकाला। अब कार्यकारिणी की मीटिंग 6 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसमें प्रदेश स्तर के आंदोलन की रूपरेखा तय हो गई।
कर्मचारी नेताओं की मांग है कि जिन विभागों में पेंशन की कोई व्यवस्था नहीं है, उन्हें यह सुविधा दी जानी चाहिए। ये विभाग ऐसे हैं जहां न नयी पेंशन व्यवस्था है न ही पुरानी। कर्मचारी 30 से 40 वर्ष जॉब करता है लेकिन वृद्धावस्था में पेंशन न होने से कोई सहारा नहीं रहता। गवर्नमेंट विभागों में संविदा कर्मचारी रख रही है लेकिन उन्हें भी पेंशन के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। उनके लिए न्यूनतम पेंशन सुविधा बहाल की जानी चाहिए।