इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट द्वारा दिसम्बर 2016 में सहायक अध्यापक के 12460 पदों पर की गई भर्ती को नियमविरुद्ध करार देते हुए गुरुवार (01 अक्टूबर) को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने एक अन्य फैसला में प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 68,500 खाली पदों के सापेक्ष की गई भर्ती की भी पूरी प्रक्रिया की CBI जांच के आदेश दे दिए हैं।
न्यायमूर्ति इरशाद अली की पीठ ने सहायक अध्यापकों के 12,460 पदों के मामले में दायर कई याचिकाओं का सामूहिक निस्तारण करते हुए यह आदेश दिए है। न्यायालय ने बोला कि 21 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन अखिलेश यादव गवर्नमेंट द्वारा जारी एडवरटाईजमेंट के आधार पर की गई सहायक अध्यापकों की भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन (शिक्षक) सेवा नियमावली 1981 के विरूद्ध थी। न्यायालय ने गवर्नमेंट को आदेश दिए हैं कि वह अभ्यर्थियों के चयन के लिए नियमों के अनुरूप नए सिरे से प्रक्रिया प्रारम्भ करे। न्यायालय ने इसके लिए राज्य गवर्नमेंट को तीन माह का समय दिया है।
इसी पीठ ने एक अन्य निर्णय में इस वर्ष 23 जनवरी को जारी एडवरटाईजमेंट के तहत प्राइमरी पाठशालाओं में सहायक अध्यापकों के 68500 पदों पर प्रारम्भ की गई सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया की CBI जांच के आदेश दिए। न्यायालय ने यह भी आदेश दिए कि इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने पर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायालय CBI को इस मामले में अपनी प्रगति रिपोर्ट 26 नवम्बर को पेश करने के आदेश देने के साथ-साथ मामले की जांच छह माह में पूरी करने के आदेश भी दिए हैं।
इससे पहले बुधवार को ही यूपी में 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती इम्तिहान में गड़बड़ी के मामले में अभ्यर्थियों को इलाहाबाद न्यायालय से बड़ी राहत मिली थी। मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पुर्नमूल्यांकन कर रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया है। वहीं अभ्यर्थियों को 10 दिन के भीतर असहमति देने का आदेश दिया है।जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने यह आदेश दिया है।
आपको बता दें अनिरुद्ध शुक्ला व 118 अन्य की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिका में ज्यादा अंक के बावजूद कम अंक दिए गए। यही नहीं कटिंग पर भी कई अभ्यर्थियों को नम्बर नहीं दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया है कि बगैर ओएमआर शीट पर कराई गई, भर्ती इम्तिहान में ओएमआर के नियम लागू किए गए, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने ये आदेश दिया है।