समाज के लिए कुछ करने का जुनून, सुधार रहे संसदीय एरिया की हालत

पेशे से वे इंजीनियर, डॉक्टर, एडवोकेट  एमबीए हैं, लेकिन समाज के लिए कुछ करने का जुनून उन्हें राष्ट्र के पिछड़े इलाकों में ले आया है. पिछले एक वर्ष से 20 युवा प्रोफेशनल राष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की समस्याओं को समझ रहे हैं  उनका जल्द हल खोजने का कोशिश कर रहे हैं. इन्हें 600 से ज्यादा आवेदकों में से चुना गया है. इन युवाओं को टाटा ट्रस्ट ने अपने स्पार्क प्रोग्राम के तहत 16 राज्यों के 20 सांसदों के साथ एक फेलोशिप प्रोग्राम के तहत नियुक्त किया है. ये उस एरिया के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनकर सांसद लोकल अधिकारियों के साथ मिलकर उनका हल निकालते हैं.
स्पार्क यानी सपोर्टिंग पार्लियामेंटेरियन्स ऑन एनालिसिस एंड रिसर्च इन द कांस्टिटुएंसी. इस कार्य में टाटा ट्रस्ट की मदद कर रहा है गैर सरकारी संगठन स्वनीति इनीशिएटिव. तकनीक  डाटा से लैस इन युवाओं के लिए ग्रामीण हिंदुस्तान में कार्य करना एक बड़ी चुनौती तो है, लेकिन लोगों की समस्याएं हल करने का संतोष उन्हें सुख भी दे रहा है. स्वनीति इनीशिएटिव के सीईओ रितविका भट्टाचार्य कहती हैं कि सांसदों, खास कर नए सांसदों के पास फंड होता है, लेकिन समस्याओं की प्राथमिकताएं तय करना एक मुश्किल कार्य है. हम इसी कार्य में उनकी मदद करते हैं.

मेघालय में ड्रॉपआउट रेट घटाने में मदद मिली

उदाहरण के लिए मेघालय में स्पार्क के युवाओं ने पाया कि स्कूल तो बहुत हैं, लेकिन एजुकेशन का स्तर अच्छा नहीं है. ड्रॉपआउट रेट काफी था. कहीं-कहीं तो 45 से 50 फीसदी तक.दस फीसदी स्कूलों में बिल्डिंग नहीं थी. 30 फीसदी में शौचालय नहीं थे. प्रदेश के 113 अरब रुपयों के बजट में एजुकेशन पर खर्च के लिए केवल 15 अरब थे. ट्रस्ट के लोगों ने एजुकेशनके एरिया में कार्य कर रहे भारती फाउंडेशन जैसे एनजीओ से संपर्क किया. उन्होंने सांसद निधि से पैसे जुटाए  लोकल प्रशासन के साथ मिलकर 50 स्कूलों में बिल्डिंग से लेकर अन्य संसाधन जुटाए. इसके बाद स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट घट गया  एजुकेशन का स्तर बेहतर हुआ.

ओडिशा में सिखाई मछली पालन की आधुनिक तकनीक

ओडिशा के बोलांगीर जैसे अकालग्रस्त इलाके में स्पार्क के फेलो सिद्धांत पांडा ने पाया कि लोगों के पास आय के साधन नहीं थे, वर्षा के अभाव में खेती लगातार बेकार हो रही थी.फ्लोराइड की अधिकता से पीने योग्य पानी नहीं था  लोग बीमार थे. टाटा ट्रस्ट ने तालाबों की हालत सुधारने के लिए पांच करोड़ रुपये दिए. एमबीए कर चुके पांडा ने सांसद निधि  चाचा ट्रस्ट के पैसों से तालाबों की सफाई, खुदाई करवाई  किसानों को मछली पालन की नवीनतम तकनीक सिखाई. दो वर्षों में वहां पेयजल समस्या तो दूर हुई ही, गरीबी से भी निजात मिली.

सांसद सिंहदेव का था आइडिया

स्पार्क योजना बोलांगीर के सांसद कलिकेश सिंहदेव का आइडिया था. 2009 में पहली बार संसद पहुंचे सांसदों के एक दौरे में अमेरिकी सीनेट जॉन केरी से मिले. वहां अधिकांश कार्ययुवा इंटर्न करते दिखाई दिए. तभी उन्होंने टाटा ट्रस्ट से बात कर यह प्रोग्राम प्रारम्भ कराया.

ये सांसद भी चला रहे कार्यक्रम

स्पार्क फेलो डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल के साथ, हमीरपुर (हिमाचल) के सांसद अनुराग ठाकुर, कलियाबोर (असम) के सांसद गौरव गोगोई जैसे कई सांसदों के साथ अलग-अलग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं.