केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच लंबे समय से तनातनी जारी है। पिछले कुछ दिनों से ये मामला थोड़ा बढ़ता जा रहा है। इन खबरों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल लेकर बड़ा बयान दिया है।
स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए वरना वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। मंच के सग संजोयक अश्विनी महाजन ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर के साथ-साथ अन्य अधिकारियों को सरकार के साथ किसी भी तरह की असहमति होने पर सार्वजनिक तौप पर बोलने से बचना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि अगर केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर के साथ-साथ किसी अधिकारी को भी सरकार के साथ किसी तरह की कोई दिक्कत है तो उसे सार्वजनिक तौर पर ना बोलकर निदेशक मंडल के सामने अपनी बात रखनी चाहिए।
जानें कैसे खड़ा हुआ बवाल
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का कहना है कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी। विरल के मुताबिक, ‘सरकार द्वारा आरबीआई के काम में दखल देने से बैंक की स्वायत्तता पर प्रभाव पड़ रहा है।अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए आरबीआई सरकार से थोड़ा दूरी बनाना चाहती है लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।
सरकार ने दिया ये बयान
वित्त मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘रिजर्व बैंक अधिनियम के दायरे में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता आवश्यक और संचालन की स्वीकार्य जरूरत है। भारत सरकार ने इसका सम्मान किया है और इसे पोषित किया है।’ समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कम से कम तीन बार अलग-अलग मुद्दों पर धारा सात (1) के तहत रिजर्व बैंक को पत्र भेजा है। हालांकि, सूत्रों ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस विशेष धारा के तहत रिजर्व बैंक को कोई निर्देश नहीं दिया है बल्कि मुद्दों को सुलझाने के लिये सिर्फ विचार विमर्श शुरू किया है।