महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन का उनके खान-पान से सीधा संबंध

 महिलाओं को हर माह पीरियड्स की समस्या से जूझना होता है और ऐसे में ये बेहद जरूरी होने जाता है कि समय पर पीरियड्स शुरू हों और समय पर ही खत्म हों।

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वैज्ञानिकों की बात मानें तो महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन का उनके खान-पान से सीधा संबंध होता है। लेकिन क्या कुछ खाने और न खानेस पीरियड्सप पर असर हो सकता है।

एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं के खान पाना में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा है तो पीरियड्स समय से पहले आने की संभावना बन जाती है।

नए वैज्ञानिक अध्ययन में ये बात सामने निकल कर आई है कि जो महिलाएं ज़्यादा पास्ता और चावल खाती हैं, उन्हें एक से डेढ़ साल पहले पीरियड्स आना शुरू हो जाता है। पीरियड्स शुरू होने की सही उम्र १४ से १५ साल होती है लेकिन ज्यादा चावल खाने वाली लड़कियों के शरीर में हारमोन के बदलाव के चलते यह प्रक्रिया समय से पहले शुरू होने की संभावना बढ़ जाती है।

इसी सिलसिले में यूनिवर्सटी ऑफ लीड्स ने ब्रिटेन की की महिलाओं पर एक स्टडी की थी और उसमें यह बात सामने आई थी कि जो महिलाएं मछली, मटर और बीन्स का सेवन ज़्यादा करती हैं उनके मासिक धर्म में सामान्य रूप से देरी होती है।

उधर दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पीरियड्स का वक़्त से पहले या बाद में आना केवल खान-पान पर ही नहीं, बल्कि कई चीज़ों पर निर्भर करता है, इसमें जीन का भी प्रभाव होता है।

पीरियड्स को लेकर यह स्टडी हाल ही में जर्नल ऑफ एपिडिमीलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ में छपी है। इस स्टडी में महिलाओं से उनके खान-पान के बारे में सवाल पूछे गए। सवालों के जवाब में पाया गया कि जो महिलाएं फलीदार सब्ज़ियां ज़्यादा खाती थीं, उनके पीरियड्स में देरी देखी गई। इस संबंध में विज्ञानियों ने कहा कि फलीदार सब्जियों में एंटी ऑक्सिडेंट ज्यादा होता है और इसी वजह से पीरियड्स में देर होती है।

ये देरी एक से डेढ़ साल के बीच की थी। दूसरी तरफ़ जिन लड़कियों ने ज़्यादा कार्बोहाइट्रेड वाला आहार जैसे चावल और पास्ता खाया, उन्हें एक से डेढ़ साल पहले ही पीरियड्स आने शुरू हो गए।

दूसरी तरफ चावल और पास्ता में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट इंसुलिन प्रतिरोधक के ख़तरे को बढ़ाता है और इससे सेक्स हारमोन पर असर पड़ता है। सेक्स हारमोन के बदलते ही शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ता है जिससे पीरियड्स का समय जल्दी आ जाता है।

स्टडी में शोध करने वाले विज्ञानियों ने खान-पान के अलावा दूसरे प्रभावों का भी ज़िक्र किया है। इसमें कहा गया कि पीरियड्स के समय में बदलाव होने वाले कारणों में महिलाओं का वजन, प्रजनन क्षमता और एचआरटी हार्मोन अहम स्थान रखते हैं।