
इससे पहले 20 सितम्बर को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा था।उल्लेखनीय है कि पुलिस ने 28 अगस्त को राष्ट्र भर के विभिन्न राज्यों में छापेमारी करके वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज व गौतम नवलखा को अरैस्ट किया था, जिसके बाद न्यायालय ने उन्हें पुलिस हिरासत में न रखते हुए उन्हें अपने-अपने घरों में ही नज़रबंद रखने का निर्णय सुनाया था।
आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गर परिषद् सम्मेलन के बाद महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव इलाके में भड़की हिंसा के लिए उपरोक्त मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भड़काऊ टिप्पणी को जिम्मेदार बताते हुए उनके विरूद्ध FIR दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए उन्हें अरैस्ट किया था।