भारत में आए भयानक चक्रवात का नाम पाकिस्‍तान

उत्‍तरी आंध्र प्रदेश  दक्षिणी ओडिशा के तटीय इलाके में भयानक चक्रवात(साइक्‍लोन) ‘तितली’ पहुंच गया है इसके कहर से बचाने के लिए ओडिशा तट से करीब तीन लाख लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है मौसम विभाग के मुताबिक, तितली का लैंडफॉल ओडिशा के गोपालपुर से 86 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है जानकारी के मुताबिक, गोपालपुर में तूफानी हवाएं 140 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल रही हैं  इनके 165 किमी/घंटा तक पहुंचने का अनुमान है इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि जब यह तूफान इतना भयावह है तो इसका नाम ‘तितली’ क्‍यों रखा गया?Related image

दरअसल चक्रवातों के नाम इसलिए रखे जाते हैं ताकि सागर में एक साथ आने वाले कई तूफानों को चिन्हित कर उनकी पहचान की जा सके आमतौर पर जब किसी तूफान की गति 61 किमी/घंटा से ज्‍यादा होती है तो उस तूफान का नामकरण किया जाता है

नाम रखने का क्‍या है तरीका?
हिंद महासागर में साइक्‍लोन का नाम रखने का चलन 2000 में प्रारम्भ हुआ इस सिलसिले में एरिया के आठ देशों-भारत, बांग्‍लादेश, मालदीव, म्‍यांमार, ओमान, पाकिस्‍तान, श्रीलंका थाईलैंड के बीच 2004 में एक फॉर्मूले पर सहमति बनी इन राष्ट्रों ने आगामी चक्रवातों के लिहाज से 64 नामों की सूची बनाई इस तरह प्रत्‍येक राष्ट्र ने आठ नाम सुझाए इस सूची को विश्‍व मौसम संगठन (WMO) को सौंपा गया जेनेवा स्थित यह संगठन ही इस एरिया में जब चक्रवात आते हैं तो उस लिस्‍ट में आने वाले सीरियल के आधार पर नाम देता है

मसलन हिंदुस्तान ने अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर  वायु जैसे नाम दिए हैं इसी तरह पाकिस्‍तान ने फानूस, लैला, नीलम, वरदाह, तितली  बुलबुल नाम दिए हैं इस कारण ही ओडिशा में आए मौजूदा तूफान का नाम ‘तितली’ है पिछले वर्ष नवंबर में दक्षिणी तमिलनाडु में जो साइक्‍लोन ‘ओखी’ आया था, वह नाम बांग्‍लादेश ने दिया था बांग्‍ला में इस नाम का अर्थ ‘नेत्र’ होता है इसी तरह पिछले वर्ष मई में बांग्‍लादेश में साइक्‍लोन ‘मोरा’ आया था उसका नाम थाईलैंड ने दिया था थाई भाषा में इस शब्‍द का अर्थ है-‘सी स्‍टार ‘

2013 में आंध्र प्रदेश  ओडिशा में ‘फेलिन’ ने कहर बरपाया था इस सूची के आधार पर उस साइक्‍लोन का नाम थाईलैंड ने दिया था इन राष्ट्रों के द्वारा दिए गए नाम एक बार इस्‍तेमाल होने के बाद आमतौर पर रिटायर होते हैं उनकी स्थान उसी जेंडर  उसी वर्णक्रम का नया नाम संबंधित राष्ट्र देता है

चलन
20वीं सदी की आरंभ में सबसे पहले ऑस्‍ट्रेलिया के मौसम विज्ञानी क्‍लीमेंट व्रेग ने ट्रॉपिकल साइक्‍लोन को नाम देने का चलन प्रारम्भ किया 1887-1907 के दौरान उन्‍होंने कई नाम दिए वे अक्‍सर अपने राष्ट्र के जिन राजनेताओं को पसंद नहीं करते थे, उनके नाम के आधार पर ही साइक्‍लोन का नामकरण कर देते थे

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