भारत बना रहा है सबसे ऊंची रेल लाइन

उत्तर रेलवे ने समुद्र तल से 5370 मीटर की ऊंचाई पर संसार का सबसे ऊंचा रेलमार्ग बनाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया है यह रेलमार्ग सामरिक दृष्टि से बेहद जरूरी होगाये रेल लाइन आउटर हिमालयन, ग्रेट हिमालयन, शिवालिक हिल्स इन तीन पर्वतीय श्रृखलाओं से धौलाधार, पीरपंजाल, लेह, कांगड़ा, बड़ा लाचा, पींग पार्वती जैसी बड़ी पहाड़ियों से होती हुई गुजरेगी फिल्हाल रेलवे की लाइनें भानूपाली रेलवे स्टेशन तक हैं यहां से लेह तक की दूरी लगभग 475 किलोमीटर है इस रूट पर पटरियां बिछाए जाने का कार्य किया जा रहा हैइस पूरे रास्ते में लगभग 244 किलोमीटर रेल पटरियों को पहाड़ों में सुरंग बना कर बिछाया जाएगा फिल्हाल भानुपाली से लेह के बीच पटरियां बिछाने का कार्य प्रारम्भ करने के लिए तीन सर्वे किए जाने हैं उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे ने बताया कि एक सर्वे पूरा हो चुका है

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50 हजार करोड़ का खर्च आएगा
इस सर्वे को पूरा करने वाली एंजेसी राईटस के अनुसार भानुपाली से लेह के बीच पटरियां बिछाने में लगभग 50,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा इस रेल मार्ग पर 30 स्टेशन, छोटे-बड़े 124 ब्रीज, छोटे-बड़े 74 सुरंगे बनाई जाएंगी इस रूट पर लगभग 27 किलोमीटर लम्बी एक सुरंग भी बनानी पड़ेगी संसार में कहीं भी रेलमार्ग पर इतनी बड़ी सुरंग नहीं बनाई गई हैलेह में जहां ट्रेन समाप्त होगी वहां पर यार्ड का निर्माण किया जाएगा  उस यार्ड का नाम फेयार्ड होगा रेलवे इस पूरे रूट पर ब्राडगेज पटरियां बिछाएगा वहीं इस रूट पर चलाई जाने वाली रेलगाड़ियो में आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तीन इंजन लगाए जाएंगे इसमें दो इंजन आगे  एक इंजन पीछे से ट्रेन को धक्का देगी जिससे ट्रेन सीधी चढ़ाई पर भी सरलता से चल सकेगी

सामरिक दृष्टि से जरूरी होगा रेलवे का ये प्रोजेक्ट  
सुरक्षा सलाहकारों के अनुसार इस रेलमार्ग को बनाए जाने के बाद से सेना चंडीगढ़ की अपनी बेस से सरलता से लेह पंहुच जाएगी लेह के साउथ वेस्ट में पाकिस्तान, नार्थ में चाइना तुर्कीस्तान और रसियन तुर्किस्तान, ईस्ट में  चाइनीज तिब्बत का ईलाका पड़ता है इस रेल मार्ग के बनने के बाद इस एरिया में सेना के जल्दी और सुगमता से पंहुचने के कारण सेना की स्थिति बोर्डर पर मजबूत होगी सीमा पर चौकसी कर रहे जवानों से लेकर युद्ध की स्थिति में रसद, युद्ध सामग्री कारगील तक पंहुचना सरल हो जाएगा इससे पाक  चाइना पर चौकसी करने में सेना को सरलताहोगी केंद्र गवर्नमेंट लेह को मनाली से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना के साथ-साथ लेह को श्रीनगर से भी रेलमार्ग के जरिए जोड़ने की योजना पर कार्य कर रही है