उन्होंने आगे बताया कि आसिया को कारागार से रिहा किया जाना चाहिए, बशर्ते वह किसी अन्य मामले में आरोपी न हों। बुधवार को निर्णय की घोषणा करने वाले खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश निसार, न्यायमूर्ति असिफ सईद खोसा व न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल शामिल थे। इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने 8 अक्टूबर को मृत्युदंड के विरूद्ध आसिया की अंतिम अपील पर अपना निर्णय आरक्षित कर दिया था। आपको बता दें कि कानूनी अपील ने लाहौर उच्च कोर्ट के अक्टूबर 2014 के निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें भगवान निंदा के आरोप में बीबी को मौत के लिए सजा के सत्र न्यायालय के निर्णय को बरक़रार रखा गया था।
पाकिस्तान का भगवान निंदा कानून
ईश निंदा कानून के तहत मजहबी भावनाएं भड़काने, इस्लाम के संस्थापक मोहम्मद पैगम्बर की बुराई करने, इबादतगाहों को अपवित्र करने, मुस्लिम्स की पवित्र पुस्तक क़ुरान को नुक्सान पहुँचाने जैसे अपराधों के लिए सज़ा-ए-मौत तक का प्रावधान है।