
मराठवाड़ा 7000 गावों में है पानी की किल्लत
द टाइम्स ऑफ इंडिया की समाचार अनुसार मराठवाड़ा क्षेत्र में पानी किल्लत को ये तीन बच्चों की कहानी बयां करती है। इस क्षेत्र में करीब 7000 गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं।इस क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों महिलाएं व बच्चे कई किलोमीटर दूर जाकर पानी ला रहे हैं।
सिद्धार्थ की कहानी दिल बैठा देने वाली है
मराठवाड़ा क्षेत्र की उन तमाम पानी लेने के लिए इधर से उधर भटक रही स्त्रियों बच्चों में सिद्धार्थ कहानी सबसे भयावह है। वह प्रतिदिन अपने घर से दो डिब्बे लेकर दोहपर में अपने घर से निकलता है। वहां से पैदल मुकुंदवाडी रेलवे स्टेशन पहुंचता है। लेकिन किसी भी दिन शाम 5:30 बजे से पहले वापस नहीं आ पाता। क्योंकि वह औरंगाबाद-हैदराबाद पैसेंजर से यात्रा करता है। यह ट्रेन आमतौर पर साढ़े तीन से चार घंटे देरी से आती है।
इसलिए सिद्धार्थ उसी तरह की तैयारी से आता है। लेकिन सिद्धार्थ बताता है कि कई बार ट्रेन समय पर आ जाती है तो भागमभाग मच जाती है। कई बार सिद्धार्थ इस भागमभाग में चोटिल भी हो चुका है।
सिद्धार्थ बताता है कि उसके ट्रेन से उतरने व पानी भरकर वापस ट्रेन में सवार होने के बीच आमतौर पर 40 मिनट का समय मिलता है। लेकिन यह नाकाफी है। क्योंकि पानी भरने के लिए लंबी कतार लगी होती है। इसके बाद स्टेशन से कुछ दूर पानी भरने जाना होता है। इसके बाद दोनों पानी के डिब्बे भरकर एक-एक स्टेशन पर लाकर रखना होता है। ट्रेन के आने पर दोनों डिब्बों के समेट ट्रेन में सवार होना होता है। कई बार भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि धक्का मुक्की की स्थिति बन जाती है। ऐसे में सिद्धार्थ कई बार हारकर रोने लगता है। क्योंकि इसके बाद जल्दी कोई ट्रेन नहीं है जो उसके घर तक पहुंचा दे।
यहां दिनभर में एक बार आती है टंकर
महज सिद्धार्थ के क्षेत्र में ही नहीं कई शहरी निकायों में भी पानी को लेकर भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। निर्मला देवी नगर के बारे में यह जानकारी मिलती है कि वहां 300 घर हैं। जबकि इनके नगर निमग की पानी की टंकर दिनभर में मात्र एक बार आती है। ऐसे में सभी को एक ही बार में अपने-अपने घरों के लिए महत्वपूर्ण पानी एकत्रित कर लेना होता है।