भारत ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) से तेल और गैस के दाम जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से तय करने को कहा था. भारत ने बुधवार को कहा कि तेल एवं गैस कीमतों में हालिया वृद्धि बाजार की बाजार के मूल सिद्धान्त से अलग हैं और इससे आयातक देशों को नुकसान हो रहा है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है.

कच्चे तेल की कीमतें चार साल के उच्चस्तर पर जाने और रुपये में गिरावट के दोहरे प्रभाव से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं. भारत और ओपेक के बीच वार्षिक संस्थागत वार्ता में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आयात देशों का दृष्टिकोण रखा. दुनिया में कुल कच्चे तेल उत्पादन में ओपेक देशों की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है.

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 83 प्रतिशत आयात करता है. इनमें से 85 प्रतिशत ओपेक देशों से आता है. वहीं 80 प्रतिशत गैस का आयात इन देशों से किया जाता है. भारत मानता है कि कच्चे तेल की कीमत और उपलब्धता तय करने में ओपेक की महत्वपूर्ण भूमिका है. कच्चे तेल की कीमतों में जो मौजूदा उछाल का सिलसिला चल रहा है उससे कई देशों की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हुई है.