लोगों को परेशान कर रखा है। दीपावली से पहले प्रारम्भ हुआ प्रदूषण समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली सहित पूरा राष्ट्रीय राजधानी एरिया (एनसीआर) धुएं वधुंध की चपेट में आ गया। दीपावली पर हुई आतिशबाजी के बाद दशा व भी गंभीर हो गए हैं। पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार इलाके में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। यहां, पीएम-10 का स्तर 533 हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के पीजीडीएवी कॉलेज व श्रीनिवासपुरी में भी खतरनाक स्तर पर है। यहां, पीएम-10 का स्तर 422 हो गया है। वहीं, दिल्ली के आर के पुरम का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी बहुत अस्वस्थ हो गया है। यहां पीएम-10 का स्तर 278 हो गया है। दिल्ली के साथ गाजियाबाद, साहिबाबाद, नोएडा में भी प्रदूषण ने लोगों को परेशान कर रखा है।
दिवाली के बाद से दिल्ली व एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा है। इसके साथ ही बेंजीन व नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर भी बढ़ गया है। दीपावली के दो दिन बीत जाने के बाद भी प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई है। शनिवार (10 नवंबर) को प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है। दिल्ली व एनसीआर की हवा में मौजूद जहर अभी भी खरतनाक स्तर पर हैं, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, छुकाम व आंखों में जलन जैसी समस्याओं की सामना करना पड़ रहा है।
बेंजीन का स्तर हवा में 5 एमजीसीएम तक होना चाहिए, लेकिन शुक्रवार (09 दिसंबर) को कई क्षेत्रों में यह 10 से 20 एमजीसीएम के बीच दर्ज हुआ। बेंजीन के अधिक प्रभाव से लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। दीपावली के अगले दिन यानि गुरुवार (8 नवंबर) की रात 10 बजे सीपीसीबी के मुताबिक, एयर इंडेक्स 327 था जो 9 नवंबर को दोपहर दो बजे तक 327 ही बना रहा। हालांकि, इसके बाद धूप की वजह से नमी कुछ कम हुई तो एयर इंडेक्स में छोटी कमी जरूर आई।
आपको बता दें कि हमारे वातावरण में कई गैसें एक आनुपातिक संतुलन में होती हैं। इनमें ऑक्सीजन के साथ कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड आदि शामिल हैं। इनकी मात्रा में थोड़ा भी हेरफेर से संतुलन बिगड़ने लगता है व हवा प्रदूषित होने लगती है। मानवजनित गतिविधियों के चलते वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड वमीथेन जैसी गैसों की मात्रा बढ़ने लगी है। साथ ही फैक्ट्रियों-वाहनों का धुआं व निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल इस संतुलन को व बिगाड़ने पर तुली हुई है। सर्दियों में यह स्थिति व भी नुकसानदेह होने लगती है। इस दौरान हवा में मौजूद नमी के चलते ये गैसें व धूल वातावरण में धुंध की एक मोटी चादर फैला देती है, जिससे दशा किसी गैस चैंबर की तरह हो जाते हैं।