पृथ्वी शॉ के पहले टेस्ट मैच में उतरने से पहले ही उनकी खासी चर्चा हो रही थी व उन्होंने में यह साबित भी कर दिया कि वो चर्चा यूं ही नहीं थी। राजकोट में वेस्टइंडीज के विरूद्धहिंदुस्तान के 293वें टेस्ट क्रिकेटर बने पृथ्वी शॉ ने अपनी पहली ही पारी में टेस्ट शतक जड़ दिया। टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने उतरी इंडियन टीम की पारी का आगाज करने उतरे पृथ्वी शॉ ने जिस अंदाज में बल्लेबाजी की उसे देखकर यह नहीं लगा कि व यह उनका पहला (डेब्यू) टेस्ट है।
भारत 293वें नंबर के टेस्ट खिलाड़ी
मैच से पहले को इंडियन कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट कैप दी। शॉ हिंदुस्तान के 293 नंबर के टेस्ट खिलाड़ी बन गए। खास बात यह रही पृथ्वी शॉ के लिए राजकोट फिर खास साबित हुआ। दरअसल, यहीं से पृथ्वी ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा था व अब यहीं से हिंदुस्तान के लिए अपने टेस्ट करियर की आरंभ की। अपनी कप्तानी में हिंदुस्तान को इसी वर्ष अंडर 19 विश्व कप विजेता बनाने वाले शॉ ने 18 वर्ष 329 दिन की आयु में टेस्ट में कदम रखा।
3 वर्ष की आयु से प्रारम्भ किया क्रिकेट
पृथ्वी सचिन को अपना भूमिका मॉडल मानते हैं व उनके पिता चाहते हैं कि बेटा भी सचिन की तरह ही लंबे समय तक राष्ट्र के लिए खेले। पृथ्वी के पिता पंकज शॉ ने बताया, ‘पृथ्वी ने बहुत ज्यादा छोटी आयु से ही क्रिकेट खेलना प्रारम्भ कर दिया था। जब उसकी आयु महज तीन-साढ़े तीन वर्ष थी। मैंने पृथ्वी को पहली बार टेनिस बॉल से खिलाना प्रारम्भ किया था। मैंने देखा कि वह बहुत ज्यादा अच्छी बल्लेबाजी करता है। मैंने उसकी प्रतिभा को पहचाना व उसको इस फील्ड में आगे बढ़ाना प्रारम्भ किया। ‘
यहां से आया टर्निंग प्वॉइंट
चार वर्ष की आयु में अपनी मां को खोने वाले पृथ्वी शॉ मुंबई के बाहरी इलाके विरार में पले बढ़े हैं। पृथ्वी शॉ के बचपन के बारे में बताते हुए उनके पिता ने कहा, ‘हर बच्चे की तरह वह भी शरारती था, लेकिन चार वर्ष की आयु में ही मां का साया सिर से उठ जाने के बाद उसमें खुद-ब-खुद मैच्योरिटी आ गई। यही उसके ज़िंदगी का टर्निंग प्वॉइंट था। उसने कभी मुझसे किसी बात की कोई जिद नहीं की व न ही कभी कोई सवाल किए। ‘ पृथ्वी को स्कूल ले जाना-लाना, क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए ले जाना, टूर्नामेंट के लिए ले जाना। इन सबके साथ उनका कार्य करना बहुत ज्यादा मुश्किलभरा था, इसलिए उन्होंने पृथ्वी के सपने के लिए अपना काम-धंधा छोड़ दिया। घर खर्च व दूसरे खर्चों को लेकर उनका कहना है, ‘लोगों ने पृथ्वी की प्रतिभा को पहचाना व हमें बहुत ज्यादा आर्थिक मदद भी दी। ‘
14 की आयु में 546 रन का अंबार
आठ वर्ष की आयु में उनका बांद्रा के रिजवी स्कूल में एडमिशन कराया गया, ताकि क्रिकेट में करियर बना सकें। स्कूल से आने-जाने में उन्हें 90 मिनट का वक्त लगता था, जिसे वो अपने पिता के साथ तय करते थे। 14 वर्ष की आयु में कांगा लीग की ‘ए’ डिविजन में शतक जड़ने वाले सबसे कम आयु के क्रिकेटर बने। दिसंबर 2013 में अपने स्कूल के लिए 546 रन का रिकॉर्ड बनाया।
चाइनीज है पसंदीदा खाना
पंकज बताते हैं, ‘पृथ्वी को चाइनीज खाना बहुत पसंद है। जब भी वह मैच में 100 स्कोर करता है तो मैदान से ही हाथ उठाकर मेरी तरफ संकेत कर देता है कि आज उसका खाना चाइनीज ही होगा। ‘ सचिन तेंदुलकर को अपनी प्रेरणा मानने वाले पृथ्वी शॉ के पसंदीदा बॉलीवुड हीरो ऋतिक रोशन हैं, लेकिन उनके पिता का कहना है कि उन्हें मराठी एक्टर अशोक श्रॉफ सबसे ज्यादा पसंद हैं।
तारक मेहता का उल्टा चश्मा के बड़े फैन
पृथ्वी को कॉमेडी फिल्में देखना बेहद पसंद है व टीवी धाराहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के वह बड़े फैन हैं। मैच व क्रिकेट ट्रेनिंग से फुर्सत मिलने पर पृथ्वी पढ़ाई करना पसंद करते हैं। पृथ्वी इस समय 12 क्लास में पढ़ रहे हैं। उनके पिता का कहना है कि क्रिकेट के बीच उसे पढ़ने का वक्त ज्यादा तो नहीं मिल पाता, लेकिन जब भी थोड़ा-बहुत वक्त मिलता है वह पढ़ने के लिए बैठ जाता है।
पढ़ाई में तेज है पृथ्वी
पृथ्वी की पढ़ाई के प्रति रुचि की सराहना करते हुए पिता पंकज ने बताया, ‘पृथ्वी पढ़ने में बहुत ज्यादा तेज है व खेल के साथ उसका मन पढ़ाई में भी लगता है। 10वीं क्लास में भी बस 1-2 महीना पढ़कर ही उसने 60 फीसदी का स्कोर कर लिया था। मुंबई के लिए रणजी खेलने वाले पृथ्वी की प्रतिभा को कई लोगों ने पहचाना व उसे आठ वर्ष की आयु से ही स्कॉलरशिप वस्पॉन्सरशिप मिलनी प्रारम्भ हो गई थी। ‘