किराए के इस मकान में बम बनाते थे भगत सिंह

23 मार्च 1931 को लाहौर में उन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी थी। इस महान क्रांतिकारी का आगरा से गहरा नाता है। उन्होंने आगरा के नूरी दरवाजा, नाई की मंडी और हींग की मंडी में काफी समय गुजारा था।

Image result for किराए के इस मकान में बम बनाते थे भगत सिंह

हिस्टोरियन राजकिशोर राजे बताते हैं, नूरी दरवाजा इलाके में अंग्रेजी हुकूमत को हिलाने की प्‍लानिंग की गई थी। नवंबर, 1928 में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर सांडर्स को मारने के बाद भगत सिंह आगरा आए थे। भगत सिंह ने नूरी दरवाजा स्थित मकान नंबर 1784 को लाला छन्नों मल को ढाई रुपए एडवांस देकर 5 रुपए महीने पर किराए पर लिया था। यहां सभी स्‍टूडेंट्स बनकर रह रहे थे। ताकि किसी को शक न हो। उन्‍होंने आगरा कॉलेज में बीए में एडमिशन भी ले लिया था।

घर में बम फैक्‍ट्री लगाई गई, जिसकी टेस्टिंग नालबंद नाला और नूरी दरवाजा के पीछे जंगल में होती थी। इसी मकान में बम बनाकर भगत सिंह ने असेम्बली में विस्फोट किया था। जुलाई, 1930 की 28 और 29 तारीख को सांडर्स मर्डर केस में लाहौर में आगरा के दर्जन भर लोगों ने इसकी गवाही भी दी थी। सांडर्स केस में गवाही के दौरान छन्‍नो ने ये बात स्‍वीकारी थी कि उन्‍होंने भगत सिंह को कमरा दिया था। नूरी दरवाजा इलाके में भगत सिंह का एक मंदिर भी बना है।

8 अप्रैल, 1929 को अंग्रेजों ने सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल असेंबली में पेश किया था। ये बहुत ही दमनकारी कानून थे। इसके विरोध में भगत सिंह ने असेंबली में बम फोड़ा और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इस काम में बटुकेश्‍वर दत्त भी भगत सिंह के साथ थे। घटना के बाद दोनों ने वहीं सरेंडर भी कर दिया। इसी केस में 23 मार्च 1931 को लाहौर के सेंट्रल जेल में भगत सिंह को फांसी दे दी गई और बटुकेश्‍वर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *